मोबाइल सिम और बैंक खातों को आधार नंबर से जोड़ना अब अनिवार्य शर्त नहीं होंगी। अब यदि आप अपने बैंक खाते व मोबाइल नंबर को आधार से नहीं जोड़ते हैं तो भी ये बंद नहीं होंगे। संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में मोदी सरकार के मंत्रिमंडल ने आधार लिंक करने की अनिवार्यता वाले कानून में संशोधन के लिए स्वीकृति दे दी है। इसके बाद अब उम्मीद है कि नया संशोधित क़ानून इसी सत्र में लोकसभा में पेश कर दिया जाएगा। कुछ माह पूर्व दिए गए सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद अब सरकार चाहती है कि व्यक्ति स्वेच्छा से ही अपना आधार नम्बर साझा करे। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित हुई मंत्रिमंडलीय बैठक में टेलीग्राफ अधिनियम के साथ ही मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम में संशोधन के लिए मंज़ूरी दी गई है।
आधार की संवैधानिकता एवं अनिवार्यता पर सर्वोच्च न्यायालय ने दिया था निर्णय:
गौरतलब है कि इसी वर्ष सितम्बर माह के आखिर में सर्वोच्च न्यायालय ने आधार की संवैधानिकता एवं अनिवार्यता पर उठ रहे सवालों पर रोक लगाते हुए निर्णय दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में आधार की संवैधानिकता को वैध ठहराते हुए इसकी अनिवार्यता से संबंधी कुछ बदलाव किए थे। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में शीर्ष अदालत की पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने मोबाइल सिमकार्ड, बैंक खाते एवं विद्यालय में प्रवेश लेने के लिए आधार की अनिवार्यता को रद्द कर दिया था। इस तरह न्यायालय ने आधार अधिनियम की धारा 57 को निरस्त करते हुए इसमें संशोधन किया था। हालांकि पैन कार्ड बनवाने के लिए तब भी आधार को अनिवार्य ही रखा गया था।