राजस्थान विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के साथ ही कांग्रेस पांच साल बाद फिर सत्ता में आ चुकी है। दो सफल कार्यकाल पूरा करने वाले अशोक गहलोत तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट राजस्थान के उप मुख्यमंत्री बने हैं। दो दिन बाद 17 दिसंबर को नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह होने जा रहा है। इसी के साथ कई रोचक पहलू हैं जिन पर नज़र डालना ज़रूरी है।
इस बार भी नहीं बदला सत्ता परिवर्तन का ट्रेंड:
राजस्थान में हर पांच साल में सरकार बदलती है, यह बात देशभर में विख्यात है। गौरतलब है कि साल 1993 के बाद से अब तक 25 वर्ष हो चुके हैं लेकिन सत्ता हस्तांतरण का यह ट्रेंड अभी भी बरकरार है। 1993 के चुनाव में भैरों सिंह शेखावत के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी। उसके बाद 1998 में कांग्रेस सत्ता में आई और अशोक गहलोत ने कमान संभाली। फिर पांच वर्ष बीते और 2003 में भाजपा ने वसुंधरा राजे के नेतृत्व में शासन संभाल लिया। 2008 में दूसरी बार गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस राज्य में सरकार बनाने में सफल रही। फिर 2013 में वापस भाजपा आ गई। अब फिर परिवर्तित होती सत्ता के उसी ट्रेंड को दोहराते हुए कांग्रेस ने प्रदेश में सरकार बना ली है। इसी के साथ अशोक गहलोत एक बार फिर मुख्यमंत्री बने हैं।
तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने वाले गहलोत चौथे :
राज्य के 22वें निर्वाचित मुख्यमंत्री बनने वाले अशोक गहलोत तीसरी बार राजस्थान के मुखिया बनने वाले चौथे शख्स है। उनसे पहले मोहन लाल सुखाड़िया, हरिदेव जोशी तथा भैरों सिंह शेखावत तीन बार या उससे अधिक मुख्यमंत्री बन चुके हैं।
सचिन पहले उप मुख्यमंत्री जो प्रदेशाध्यक्ष भी बने रहेंगे:
सचिन पायलट उप मुख्यमंत्री के साथ ही राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने रहने वाले पहले पहले व्यक्ति है। इसी के साथ पायलट राजस्थान के पांचवें उप मुख्यमंत्री बने हैं। उनसे पहले 1952 में कांग्रेस के टीकाराम पालीवाल, 1993 में भाजपा सरकार में हरिशंकर भाभड़ा, 1998 से 2003 तक कांग्रेस सरकार में बनवारी लाल बैरवा और कमला बेनीवाल उप मुख्यमंत्री पद पर रह चुके हैं।