साल का सर्वाधिक चर्चा में रहा मुद्दा ”राफेल विमान सौदे” पर शुक्रवार को भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय सुना दिया। इस फैंसले में न्यायालय ने राफेल सौदे में कथित अनियमितताओं के आरोप सम्बंधित सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए केंद्र सरकार को बड़ी राहत दी। मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने फैंसला सुनाते हुए राफेल सौदे की प्रक्रिया को पूरी तरह सही ठहराया है। न्यायालय ने राफेल विमान की गुणवत्ता पर उठ रहे सवालों को भी खारिज कर दिया है। हालांकि न्यायालय ने विमान की कीमत को लेकर स्पष्ट किया कि विमान की कीमत देखना कोर्ट का काम नहीं है। न्यायालय के निर्णय के बाद कांग्रेस पर सवाल उठने लगे कि कांग्रेस पार्टी ने चुनावी फायदे के लिए बेवज़ह ही मामले को तूल देने की कोशिश की। इसके बाद कांग्रेस की तरफ से अपनी सफाई दी गई।
राफेल पर जांच के लिए जेपीसी का गठन होना चाहिए:
कांग्रेस की तरफ से राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि ‘सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय हमारे उस रुख को सही साबित करता है कि राफेल के मूल्य निर्धारण, प्रक्रिया और विनिर्देशों का निर्णय लेने के लिए सर्वोच्च न्यायालय उचित मंच अथवा संस्था नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय जांच समिति नहीं है। न्यायालय की अपनी भी संवैधानिक सीमाएं हैं। इसीलिए राफेल सौदे की निष्पक्ष एवं पारदर्शी जांच के लिए हमने हमेशा से ही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मांग की है।’ सुरजेवाला ने आगे कहा कि ‘कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट नहीं गई थी। चूँकि सुप्रीम कोर्ट सिविल सूट नहीं है इसलिए उनके सामने मामले की सारी फाइल नोटिंग्स नहीं पढ़ सकते। सुप्रीम कोर्ट केवल अनुच्छेद 136 के तहत अपनी संवैधानिक ताक़तों का उपयोग कर रही है। लेकिन इस विवाद में रहस्य की अनेक परतें हैं। सुप्रीम कोर्ट यह जांच कैसे करेगी कि किस तरह 8 लाख रुपए की एसेट रिलायंस एयरो डेवेलपर्स का 10 रुपए का शेयर डसॉल्ट एविएशन ने 1500 रुपए में खरीदकर 284 करोड़ रुपए का फ़ायदा पहुंचाया!! सुप्रीम कोर्ट कैसे जांच करेगी कि क़ानून मंत्रालय की दो बार दी गई राय को न मानते हुए प्रधानमंत्री ने कैबिनेट कमेटी ऑन सेक्युरिटी में बेंचमार्क प्राइज बड़ा दिए।’ बकौल सुरजेवाला ‘इसी तरह अनेक ऐसे तथ्य हैं जिनकी जांच सुप्रीम कोर्ट नहीं कर सकती उसके लिए जेपीसी के गठन की आवश्यकता है।’
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