हवामहल को रास नहीं आती कांग्रेस।

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जयपुर शहर की प्रमुख विधानसभा है हवामहल। अपने साथ शहर के परकोटे को समेटने वाली इस विधानसभा को भाजपा का गढ़ माना जाता है। वर्ष 1957 से लेकर 2013 तक हुए कुल 13 चुनावों में केवल 2 बार इस विधानसभा से कांग्रेस जीत पाई  है। एक बार 1957 में रामकिशोर व्यास और दूसरी बार 2008 में बृजकिशोर शर्मा। इस बार कांग्रेस ने इस सीट पर किशनपोल के पूर्व विधायक व जयपुर से सांसद रहे महेश जोशी को मैदान में उतारा है। जोशी के सामने भाजपा के सुरेंद्र पारीक है, जो यहां से दो बार विधायक रह चुके हैं। इसलिए इस बार यह सीट यदि कांग्रेस निकाल लेती है तो यह निश्चित ही उसके लिए एक बेहतरीन उपलब्धि होगी।

ब्राम्हण सीट मानी जाती है:

हवामहल सीट के साथ संयोग यह रहा कि इस पर हमेशा से ब्राम्हण प्रत्याशी विजयी हुआ है। इसके कारण इसे ब्राम्हण सीट का तमगा मिला हुआ है। अब कांग्रेस और भाजपा, दोनों पार्टी यहां से ब्राम्हण उम्मीदवार को मैदान में उतारती है।

छह बार विधायक रहे हैं भंवरलाल शर्मा:

हवामहल विधानसभा से जुडी एक अमर शख्सियत है भंवरलाल शर्मा। शर्मा इस सीट पर वर्ष 1977 में जनता पार्टी और उसके बाद 2003 तक लगातार छह बार भारतीय जनता पार्टी से विधायक रहे हैं।

इस सीट पर कांग्रेस की लोकप्रियता इतनी कम है कि 2008 में भाजपा प्रत्याशी मंजू शर्मा को हराकर सीट निकालने वाले कांग्रेस के बृजकिशोर शर्मा की जीत का अंतर करीब 600 वोट ही रहे थे। इसलिए यह कहना कि जयपुर के हवामहल को कांग्रेस पार्टी रास नहीं आती, अतिश्योक्ति नहीं होगा।

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