राजस्थान विधानसभा – 2018 के चुनाव में जयपुर शहर के बाहरी क्षेत्र को समेटने वाली झोटवाड़ा विधानसभा सीट के मायने इस बार हार-जीत से ज़्यादा दो दिग्गजों की साख़ पर टिके होंगे। पिछले 10 साल से क्षेत्रीय विधायक राजपाल सिंह शेखावत जहां एक बार फिर भाजपा की ओर से इस सीट पर अपना सियासी भाग्य आज़माने जा रहे हैं वहीं कांग्रेस ने इस सीट से अपने काबिल और अनुभवी नेता लालचंद कटारिया को आगे किया है। राजनैतिक लिहाज़ से देखें तो क्षेत्र का बड़ा तबका जहां कटारिया से प्रभावित है वहीं राजपाल सिंह शेखावत भी एक बड़े वर्ग पर अपना प्रभुत्व रखते हैं।
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी की गई साल 2017 की मतदाता सूची पर नज़र डाले तो पाते हैं कि 342538 मतदाताओं के साथ झोटवाड़ा विधानसभा प्रदेश में शीर्ष पर आती है। इसी के साथ क्षेत्र की जनसंख्या का तकरीबन 20 फीसदी भाग अनुसूचित वर्ग से आता है।
मज़बूत पकड़ रखते हैं राजपाल सिंह शेखावत:
झोटवाड़ा की सीट से राजपाल सिंह शेखावत लगातार दो बार से विधायक बन रहे हैं। 2008 में लालचंद कटारिया को 2500 मतों से हराने वाले शेखावत ने 2013 के चुनाव में कटारिया की पुत्रवधु रेखा कटारिया को करीब 20 हज़ार मतों के भारी अंतर से शिकस्त दी थी। क्षेत्र के राजपूत मतदाताओं पर गहरी पकड़ रखने वाले शेखावत यदि इस बार भी सीट निकाल लाते हैं तो राजस्थान की राजनीति में भाजपा के दिग्गज राजपूत नेताओं में शुमार हो जाएंगे।
कद्दावर शख्सियत है लालचंद कटारिया:
जयपुर ग्रामीण क्षेत्र पर मज़बूत पकड़ रखने वाले लालचंद कटारिया कांग्रेस पार्टी की कद्दावर शख्सियत माने जाते हैं। जयपुर ग्रामीण से सांसद रहे कटारिया मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-2 सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। इसके अलावा कटारिया 2003 में आमेर सीट से विजयी होकर राजस्थान विधानसभा भी पहुँच चुके हैं। जयपुर ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा उत्थान के लिए विशेष प्रयास करने वाले कटारिया की छवि एक सकारात्मक व जनप्रिय नेता के रूप में रही है।
यह तो स्पष्ट है कि दोनों में से जो भी नेता यहां से जीतकर विधानसभा में पहुंचेगा, क्षेत्र के साथ ही अपनी पार्टी में भी वह आला दर्ज़े की प्रतिष्ठा का हक़दार होगा। ऐसे में अब देखना यह दिलचस्प होगा कि राजस्थान की राजनीति के इस राजसूर्य यज्ञ का राजयोग किसकी क़िस्मत में आता है!!