9 बार विधायक रह चुकी इस दिग्गज को नहीं मिला टिकट।  नाम जानकार चौंक जाएंगे आप

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भारतीय राजनीति की धुरी अक्सर अनिश्चितता और अप्रत्याशितता के आस-पास घूमती रही है। चुनावी हार-जीत के साथ राजनैतिक पार्टियों का टिकट वितरण भी इसी अनिश्चितता का भाग रहा है। राजस्थान विधानसभा की प्रथम महिला अध्यक्षा सुमित्रा सिंह को इस बार किसी सीट से उम्मीदवार नहीं बनाया जाना कुछ यहीं कहानी दोहराता है। गौरतलब है कि 88 वर्षीय सुमित्रा सिंह प्रदेश के झुंझुनू-शेखावाटी क्षेत्र से 9 बार विधायक रह चुकी है।

1957 में जीता था पहला चुनाव:

राजस्थान की राजनीति में सुमित्रा सिंह जानी-मानी शख्सियत है। सिंह ने अपना पहला चुनाव वर्ष 1957 में पिलानी से जीता था। उसके बाद प्रदेश की कुल 12 में से 9 विधानसभाओं में सिंह ने अपनी मौजूदगी दर्ज़ कराई है।

सुमित्रा सिंह को वर्ष 2004 में भारत ज्योति पुरस्कार, वर्ष 2006 में ग्लोरी ऑफ़ इंडिया पुरस्कार, वर्ष 2008 में राजस्थान भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। राजस्थान सरकार में सुमित्रा सिंह ने स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग, परिवार कल्याण विभाग, ऊर्जा विभाग, भौम जल, उच्च शिक्षा विभाग आदि में मंत्री रहते हुए मंत्रालय का कार्यभार संभाला है।

निर्दलीय भी लड़ा है चुनाव:

सुमित्रा सिंह कितनी बड़ी शख़्सियत है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों राजनैतिक पार्टियों के टिकट पर विधानसभा पहुंचने वाली सुमित्रा सिंह निर्दलीय, अपने दम पर भी चुनाव जीत चुकी है। झुंझुनू, शेखावाटी क्षेत्र की लाडली सुमित्रा सिंह का प्रभाव आसपास की अन्य विधानसभाओं पर भी रहता है।

भाजपा से थी टिकट की उम्मीद:

सुमित्रा सिंह को इस बार अपने क्षेत्र झुंझुनू के पिलानी से भाजपा द्वारा टिकट मिलने की उम्मीद थी, लेकिन भाजपा ने सिंह के नाम को दरकिनार करते हुए कैलाश मेघवाल को मैदान में उतारा है।

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