एक बार फिर देश की शीर्ष अदालत ने आमजन के ज़मीनी मुद्दे को उठाते हुए सरकार एवं व्यवस्था की लापरवाही पर सवाल उठाया है। सर्वोच्च न्यायलय के सेवानिवृत्त न्यायधीश केएस राधाकृष्ण की अध्यक्षता में सडक पर गड्डों की वजह से होने वाली मौतों पर बनी सुप्रीम कोर्ट की रोड सेफ्टी कमेटी ने जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ को एक रिपोर्ट सौंपी है। यह रिपोर्ट कहती है कि 2013 से 2017 तक के पांच वर्षों में देशभर में कुल 14926 लोग सड़क हादसों में जान गवां चुके हैं। इस रिपोर्ट के आधार पर सर्वोच्च न्यायलय ने केंद्र सरकार से जवाब माँगा है। सड़क सुरक्षा पर सुनवाई करते हुए न्यायलय ने कहा कि सड़क हादसों में होने वाली मौतों की यह संख्या संभवतः देश की सीमा पर शहीद होने वाले सैनिकों की संख्या से अधिक हैं।
सड़क हादसों के शिकार सर्वाधिक उत्तर प्रदेश में:
भारत सरकार के सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के डेटा की माने तो सड़क के गड्डों के कारण होने वाले हादसों में जान जाने की सर्वाधिक घटनाएं उत्तर प्रदेश में होती हैं। इन पांच सालों में करीब 5 हज़ार लोग यूपी में इन हादसों की भेंट चढ़ चुके हैं। वहीं राजस्थान में 500 लोगों की जान दुर्घटनाओं में चली गई है।
वास्तविक आंकड़ें हो सकते हैं कहीं ज़्यादा:
एक अनुमान के मुताबिक सड़क के गड्डों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं में मरने वाले लोगों का वास्तविक आंकड़ा, प्रस्तुत आधिकारिक आंकड़े से ज़्यादा हो सकता है। क्योंकि हकीकत यह है कि कई हादसे रिपोर्ट में दर्ज़ ही नहीं हो पाते। इसके पीछे कारण यह है कि सड़क हादसों में शिकार व्यक्तियों को बीमा देने से बचने के लिए कम्पनियां, प्रशासन अक्सर अपनी गलती छिपाने की कोशिश करते हैं, जिससे वास्तविक आंकड़ें सामने आ ही नहीं पाते।