साल 1950 की 15 मार्च के दिन भारत सरकार के एक प्रस्ताव द्वारा योजना आयोग का गठन किया गया था। नवस्वाधीन भारत ने अपने लिए तीव्र वृद्धि एवं विकास के जो लक्ष्य निर्धारित किए थे उनके अनुसरण के लिए, देश के उपलब्ध संसाधनों के समुचित उपयोग के लिए योजना आयोग का गठन किया गया। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू योजना आयोग के पहले सभापति नियुक्त हुए। इसके बाद आयोग द्वारा बनाई गई पंचवर्षीय व विभिन्न एक वर्षीय योजनाओं के माध्यम से भारत ने तरक्की की।
साल 2014 में भारत की 16वीं लोकसभा के गठन के साथ ही जब पहली बार देश में किसी गैर कांग्रेसी दल ने पूर्ण बहुमत प्राप्त कर सरकार बनाई तो उसी वर्ष स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर नवनियुक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से योजना आयोग को प्रतिस्थापित करने की ऐतिहासिक घोषणा कर दी। इस तरह साल 2015 की पहली तारीख को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग का गठन किया गया। इस तरह योजना आयोग की जगह नीति आयोग के गठन को 4 वर्ष से अधिक हो चुके हैं, देश 17वीं लोकसभा चुनाव के मुहाने पर है ऐसे में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपना घोषणा पत्र जारी कर फिर से नीति आयोग के स्थान पर योजना आयोग स्थापित करने की बात कही है। कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि-
इस तरह कांग्रेस नीति आयोग का काम महज़ प्रधानमंत्री और उनके असंदिग्ध आंकड़ों का प्रचार करना मान रही है।
अपने घोषणा पत्र में नीति आयोग की आलोचना करते हुए योजना आयोग का एलान किया कांग्रेस ने:
कांग्रेस पार्टी ने 2019 लोकसभा चुनाव के लिए अपना घोषणा पत्र जारी करते हुए उसमें उल्लेख किया कि ”भारत जैसे विशाल राष्ट्र में जहाँ विशिष्ट विषयों को संचालित करने वाले अनेक मंत्रालय एवं विभागों के साथ राज्य और केन्द्र सरकारों की संघीय प्रणाली हों, वहाँ आवश्यक हो जाता है कि एक विशेषज्ञ निकाय हो जो – 1. प्रतिस्पर्धी दावों का मूल्यांकन करे। 2. केन्द्र व राज्य सरकारो के बीच और वित्त मंत्रालय व विभिन्न विभागो के बीच धन के आवंटन की मध्यस्थता करें। 3. धन के उपयोग की निगरानी करे। 4. व्यय ब्यौरा परिणामों के बीच के अंतर का आंकलन और मूल्यांकन करें।
कांग्रेस नीति आयोग को निरस्त करेगी, जो पूरी तरह से सिर्फ अक्षम और नाकाम साबित हुआ है। कांग्रेस मध्यम और दीर्घकालिक योजनाओं को तैयार करने तथा संघीय प्रणाली में महत्वपूर्ण कार्य करने के लिए, एक स्वतंत्र विशेषज्ञ निकाय के रूप में नये सिरे से परिभाषित जिम्मेदारियों के साथ, योजना आयोग के गठन का वायदा करती है।
कांग्रेस का वायदा है कि नया योजना आयोग, प्रसिद्ध अर्थशास्त्रीयों और वित्तीय विशेषज्ञों का एक छोटा संगठन होगा, जिसकी सहायता के लिए उच्च गुणवत्ता वाली विद्वानों और सहायकों की टीम हो, जिनकी संख्या अधिकतम् 100 होगी।‘’
योजना आयोग और नीति आयोग में निम्न मुख्य अंतर हैं-
- योजना आयोग के मुख्य काम पंचवर्षीय योजना बनाना और मंत्रालयों व राज्यों के मध्य वित्त का आवंटन करना था परंतु नीति आयोग का प्रमुख कार्य सामाजिक व आर्थिक मुद्दों पर सरकार के लिए सलाहकारी की भूमिका निभाना है। यह भारत सरकार का मुख्य थिंक-टैंक है। इसके गठन बाद से पंचवर्षीय योजनाओं की अवधारणा भी समाप्त कर दी गई है।
- योजना आयोग के अंतर्गत योजनाएं केंद्र सरकार के अनुरूप गठित होती थी, नीति आयोग में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री भी योजना के निर्माण में अपना सुझाव देते हैं।
- नीति आयोग की शासी परिषद् में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री व केंद्र शासित प्रदेश के उप राज्यपाल को सम्मिलित किया गया है, योजना आयोग में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी।