लोकसभा चुनाव-2019, हर हाल में सरकार बनाने के लिए अथक मेहनत करते नरेंद्र मोदी

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भारतीय जनता पार्टी की तरफ़ से चुनावी मशीन बनकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी लॉन्चिंग कर चुके हैं। 28 मार्च 2019, बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी ने सवेरे ही ट्वीट किया-

”प्रिय मित्रों,

अगले कुछ दिनों में, मैं आगामी लोकसभा चुनावों के लिए आपके समर्थन के लिए देश भर में यात्रा करूंगा। आज, मैं मेरठ (यूपी), रुद्रपुर (उत्तराखंड) और जम्मू (जम्मू-कश्मीर) में रैलियों को संबोधित करूंगा। NaMo App पर रैलियों को लाइव देखें।”

प्रधानमंत्री मोदी का यह ट्वीट और भाजपा का चुनावी कार्यक्रम देखें तो यह स्पष्ट हो जाता है कि आगामी दिनों में नरेंद्र मोदी सैंकड़ों ताबड़तोड़ रैलियां, सभा-सम्मलेन करेंगे। अभी कल ही मोदी ने तीन अलग-अलग राज्यों में जनसभाएं सम्बोधित की है, आज फिर मोदी तीन राज्य कवर करने में लगे हैं। सवेरे-सवेरे अपने मनपसंदीदा चैनल को साक्षात्कार भी दिया है।

अथक मेहनती व्यक्ति है नरेंद्र मोदी:

व्यक्तित्व और धारणा के रूप में नरेंद्र मोदी चाहे जिस प्रकार की शख्सियत हो, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि मोदी अथक मेहनती आदमी है। सार्वजनिक रूप में जिस तरह से नरेंद्र मोदी का जीवन सामने लाया गया है, वह एक चाय वाला, स्वयंसेवक, फिर युवा सन्यासी, भाजपा कार्यकर्ता, सूबे का मुख्यमंत्री और फिर दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक राष्ट्र का प्रधानमंत्री बनने के संघर्षमयी सफर की दास्तान कहता है। साल 2014 का आम चुनाव जीतकर केंद्र की सत्ता के शीर्षक की पदवी पर आए मोदी ने तब कहा था कि गुजरात में तीन बार मुख्यमंत्री रहते उन्होंने एक भी छुट्टी नहीं ली, लगातार काम किया है। इसी तरह अगले 5 साल बिना रुके और थके काम करने की इच्छा तब मोदी ने दर्शाई थी। 2014 के बाद 2019 आ गया है। हर पिछले बयान पर मोदी की तुलना की जा रही है, स्तर-स्तर पर मोदी होने के मायने बदल गए होंगे लेकिन लगातार काम में लगे रहने की मोदी की छवि में बदलाव नहीं आया है। अब भले ही मोदी ने सबसे ज़्यादा विलायती दौरे किए हो, विदेश घूमने में अधिक पैसे खर्चे हो, देशभर में चुनावी रैलियां की हो, लेकिन मोदी 70 की उम्र के पार भी सक्रिय नज़र आते हैं। पांच साल की मोदी सरकार में चाहे अच्छे दिन आए हो या न हो, आतंक, भ्रष्टाचार, काला धन, रोजगार, विकास को लेकर जनाकांक्षाएं पूरी हुई हो या न हो, बावजूद देशवासियों को अभी भी यह संभावना प्रबल लगती है कि मोदी दिन में 18-18 घंटे काम करते होंगे। मोदी चाहे लाखों के सूट पहनते हो, लेकिन वे दिन में चार बार कपड़े बदलते हैं इस बात को उनके समर्थक सक्रियता से जोड़ते हैं।

2014 के बाद इन पांच सालों में  प्रधानमंत्री मोदी पर विपक्ष हर तरह से हमलावर रहा है। मोदी की कार्यशैली, उनकी नीति-नीतियों पर सवाल खड़े किए हैं, लेकिन उनकी कार्यक्षमता को कमतर बता पाने की क्षमता अभी किसी विरोधी में नहीं है। मतदाता भी मोदी की तुलना जब देश के पिछले प्रधानमंत्रियों से करते हैं तो मोदी का प्रभावी भाषण, चीज़ों को पेश करने का उनका तरीका, छोटी-बड़ी बातों में ध्यान देना, सोशल मीडिया पर प्रभावी उपस्थिति, संचार और संपर्क के लिए टेक्नोलॉजी और डिजिटल साधनों का भरपूर उपयोग, संसद-विधानसभा से लेकर बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं से विमर्श नरेंद्र मोदी को अधिक लोकप्रिय बनाता है। युवाओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में जीत की ललक दिखाई देती है, वे बेसब्र नज़र आते हैं, यह खूबी खासतौर पर आज के नए मतदाता वर्ग के मन में उनके प्रति स्वीकारोक्ति में अभिवृद्धि करती है।

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