एक से अधिक सीट से चुनाव लड़ने पर रोक सम्बंधित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई दो सप्ताह बाद

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photo cradit: ANI

भारत की लोकसभा या राज्य विधानसभा चुनावों के दौरान अक्सर ऐसा होता है, जब एक उम्मीदवार एक से अधिक सीट से चुनावी दावेदारी करता है। ऐसे में यदि वह उम्मीदवार एक से अधिक सीट जीत भी जाता है तो उसे एक सीट से जनप्रतिनिधि का औहदा त्यागना रहता है। उस सीट पर फिर से चुनाव होता है, और दूसरा प्रत्याशी चुना जाता है। एक हिसाब से देखा जाए तो यह प्रक्रिया पूरी तरह से व्यर्थ मालूम पड़ती है। जब कोई व्यक्ति एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र से प्रतिनिधि की भूमिका का निर्वहन नहीं कर सकता, तो फिर एक से अधिक जगह से चुनाव लड़ने का क्या अर्थ!

इस तरह से चुनाव अक्सर किसी राजनैतिक दल का विशेष व्यक्ति ही लड़ता है, ताकि उसे कम से कम एक सीट से तो जीत मिल ही जाए, लेकिन यह प्रणाली व्यर्थ ही संसाधन खपाने वाली है। इसी को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेता और सर्वोच्च न्यायलय के वकील अश्विनी उपाध्याय ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी कि न्यायपालिका भारत के निर्वाचन आयोग को निर्देश दें कि एक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने से उम्मीदवारों को रोका जाए। इसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता बाली बेंच ने फिलहाल याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह के लिए टाल दी है। लेकिन उम्मीद है कि शीर्ष अदालत दो सप्ताह बाद इस विषय को गंभीरता से लेकर इस पर सुनवाई करेगा।

कौन है अश्विनी उपाध्याय:

अश्विनी उपाध्याय भारत के उच्चतम न्यायालय में वकील और भाजपा प्रवक्ता है। उपाध्याय हमारी न्यायपालिका में विभिन्न विषयों पर जनहित याचिकाएं दायर करने के लिए जाने जाते है। इन्होने अब तक सर्वोच्च न्यायलय में 50 के करीब और देशभर के उच्च न्यायालयों में 20 से अधिक जनहित याचिकाएं दायर की है। इन याचिकाओं का विषय चुनाव सुधार, शिक्षा सुधार, पुलिस व न्यायिक सुधार, लैंगिक न्याय, समानता, गरिमा से सम्बंधित होता है।

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