नेहरू अभी इस दुनिया में नहीं है, अपनी नाकामी छुपाने के लिए आप उन्हें जी भरकर कोस सकते हैं

0
1183

भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू आज इस दुनिया में नहीं है। 1889 के नवम्बर की 14 तारीख को जन्मे नेहरू औपनिवेशिक शासन से भारत की आज़ादी के लिए संघर्षरत रहे। जीवन के 13 से अधिक वर्ष ब्रिटिश जेलखाने में गुज़ार दिया। 1947 में जब भारत आज़ाद हुआ तो देश के पहले पंतप्रधान चुने गए। हमारे साथ ही बने पाकिस्तान में 11 सालों के अंदर 7 प्रधानमंत्री बदल गए, लेकिन नेहरू 17 साल तक देश के मुखिया रहे। देश में लोकतंत्र बनाए रखा, पंचशील और गुटनिरपेक्षता जैसी दो महान अवधारणाएं दुनिया के सामने रखी। नवस्वाधीन भारत सुदृढ़ रहा, तटस्थ रहा, शीतयुद्ध के उस दौर में न पूंजीवादी अमेरिका के सामने झुका न साम्यवादी रूस के मातहत दबा। बावजूद ऐसे बेमिसाल नेतृत्व के आज राजशाही अपने हर एक कुकृत्य के लिए, हर एक नाकामी के लिए नेहरू को ज़िम्मेदार ठहरा रही है। यह बिलकुल वैसा ही है कि आप ज़िन्दगी में कुछ ख़ास कर नहीं पाए, और अपने व्यर्थ जीवन का ठीकरा अपने दादा पर फोड़ रहे हैं, बहाना बना रहे हैं कि आपके दादा अपने शक्तिशाली गुणसूत्रों को अगली पीढ़ी में पहुंचा नहीं पाए, इसलिए आप कमज़ोर रह गए। बहाना अच्छा है, यकीन मानिए इससे आप संतुष्ट भी हो सकते है, लेकिन यह कोई हल नहीं है। आपके पूर्वजों ने अपने समय पर जो किया वह दुनिया में सबसे अच्छा किया, वे अपने समय में कही कम न थे। आज आपके पास करने का वक़्त है, आप कीजिए, जितना अच्छा कर पाए कीजिए। लेकिन यदि आप कामचोर है, अयोग्य है, अक्षम है, आपकी नियति, नीति ठीक नहीं है, तो विनम्रता से स्वीकार कर लीजिए। लेकिन आप नेहरू के इस दुनिया में नहीं होने का फ़ायदा उठाना चाहते हैं। अपनी नाकामी उन पर थोपना चाहते हैं, जी भरकर नेहरू को गाली देना चाहते हैं, अपनी कमी का कसूरवार उन्हें ठहराना चाहते हैं।

  • यदि आप कहते हैं कि ब्रिटिश भारत पंडित नेहरू की वजह से विभाजित होकर भारत-पाकिस्तान में तब्दील हुआ।
  • यदि कहते हैं कि कश्मीर समस्या नेहरू की वजह से है।
  • यदि मानते हैं कि 1962 में नेहरू के कारण भारत चीन से हार गया था।
  • यदि सावरकर को जेल में रखने की वजह नेहरू को बताते हैं, तो उपरोक्त सभी विषयान्तर्गत आपसे निवेदन है की पहले पुख्ता और आधिकारिक इतिहास पढ़िए, फिर तर्क कीजिए। अन्यथा झूठे आरोप तो आप किसी पर भी लगा सकते हैं।

नेहरू पर भ्रम की सत्यता जानिए:

ब्रिटिश भारत नेहरू की वजह से नहीं नहीं जिन्ना और कट्टरपंथी संगठनों की हठधर्मिता की वजह से बंटा था। कश्मीर की समस्या नेहरू की वजह से नहीं पाकिस्तान, शेख अब्दुल्ला और कश्मीरी आवाम की वजह से उत्पन्न हुई थी।

साल 1962 के भारत-चीन युद्ध में हम हारे नहीं थे, युद्ध विराम घोषित हुआ था। फिर भी यदि आप नेहरू को नाकाम ठहराने के लिए उसे भारत की हार मानते हैं तो क़ायदे से 1948 और 1965 में पाकिस्तान को दी गई पटखनी नेहरू की जीत होनी चाहिए!!

आज़ादी के बाद भी विनायक दामोदर सावरकर जेल में क्यों और कब तक रहे, इसकी विस्तृत जानकारी आपको विकिपीडिया और इतिहास की किताबों से मिल जाएगी।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थाई सीट का सवाल भी आपको उपजता होगा:

अंत में आप ज़रूर पूंछना चाहेंगे कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अपनी स्थाई सीट चीन को क्यों दे दी? तो इस पर 27 सितम्बर 1955 को द हिन्दू अखबार द्वारा छापी गई रिपोर्ट कहती है कि एक दिन पहले लोकसभा में डॉ जेएन पारेख द्वारा पूंछे गए सवाल के जवाब में पं.नेहरू ने कहा था कि- “इस तरह का कोई प्रस्ताव, औपचारिक या अनौपचारिक रूप से हमें नहीं दिया गया है। कुछ अस्पष्ट संदर्भ इसके बारे में प्रेस में दिखाई दिए हैं, जिनकी वास्तव में कोई नींव नहीं है। संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद की संरचना उसके चार्टर द्वारा निर्धारित की गई है, जिसके अनुसार कुछ निश्चित राष्ट्रों के लिए स्थायी सीटें हैं। चार्टर में संशोधन के बिना इसमें कोई परिवर्तन या परिवर्धन नहीं किया जा सकता है। इसलिए, एक सीट की पेशकश का कोई सवाल ही नहीं है।”

TheHindu

वर्तमान प्रधानमंत्री चीन की यात्राओं पर भी हो आए है, चीन की खातिरी भी खूब की है, गले मिले है, साथ झूला झूले है। बावजूद चीन हमारा पक्षकार नहीं निकला और संयुक्त राष्ट्र में आतंकी मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी घोषित होने से बचा लिया। पाकिस्तान को घर में घुसकर मारने की धमकी देकर अखबार की हैडलाइन में छाने वाले प्रधानमंत्री आज चीन पर खामोश नज़र आते है। और तिलमिलाती राजव्यवस्था लाल आंख दिखाते चीन के सामने अपनी विफल विदेश नीति के लिए नेहरू को ज़िम्मेदार बताती है। बेहद हास्यादपद, अजीब, आश्चर्यजनक और शर्मनाक है कि अपनी नाकामी के भंवर में इस देश को फंसा बैठी केंद्र सरकार अपने गुनाहों का प्रायश्चित न करके उन्हें छुपाने में लगी है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here