पाकिस्तान, वह देश जो ब्रिटिश उपनिवेश से आज़ादी के साथ ही भारत से टूटकर एक नए राष्ट्र के रूप में दुनिया के सामने आया। धार्मिक हितों को लेकर भारत से अलग हुए इस राष्ट्र की संरचना ही कभी लोकतांत्रिक नहीं रही। 1947 में अस्तित्व में आने के बाद अगले 11 वर्षों में यहां 7 प्रधानमंत्री बदले गए। मार्शल लॉ लागू हो गया, सेना मज़बूत हुई तो सरकार का तख्ता पलट कर खुद ही सत्ता हथिया ली। इस तरह दशकों पाकिस्तान ने राजशाही के तले गुज़ारे। अस्थिरता से डोल रहे देश में आतंकियों को पनाह मिलने लगी। राजनैतिक हत्याएं होने लगी, बम विस्फोटों और गोलीबारी में आम नागरिक मारे जाने लगे। आतंक के सहारे कश्मीर हड़पने के चक्कर में अपना आधा भाग पूर्वी पाकिस्तान खो बैठे इस देश ने अपने बलूची नागरिकों को भी विद्रोही बना लिया। इस तरह पाकिस्तान हमेशा ही लचरता और बेहाली से गुज़रता रहा और अपने पड़ौसी भारत के लिए हानिकारक बना रहा।
विदेश नीति व द्विपक्षीय संबंध में गैर ज़िम्मेदार देश है पाकिस्तान:
विदेश नीति और दो राष्ट्रों के बीच पारस्परिक संबंधों में पाकिस्तान का रवैया हमेशा लापरवाही से भरा रहा है। हाल ही पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान सरकार के अलग-अलग मंत्रियों के अलग-अलग बयान, सैन्य प्रमुख और प्रधानमंत्री की मतभिन्नता यह दर्शाती है कि पाकिस्तान एक अव्यवस्थित और बेतरतीब देश है। इसे समझते हुए अमेरिका और चीन जैसे राष्ट्रों ने हमेशा ही इसे अधीनस्थ बनाकर इस्तेमाल किया है।
चाहे अफगान से आतंक ख़त्म करने के लिए हो या गर्त में पड़ी पाकिस्तानी सियासत के उत्साहवर्धन के लिए, अमेरिका ने क़दम-क़दम पर पाकिस्तान को सहायता दी है। पश्चिम जगत में अपना प्रभुत्व बढ़ाने के साथ ही पूर्व में रूस, भारत और चीन को सीमित रखना शुरुआत से ही अमेरिका की नीति रही है। ऐसे में वैश्विक महाशक्ति बने रहने की चाह में अमेरिका भी यह कभी नहीं चाहेगा कि भारत को इसके पड़ौसी पाकिस्तान की नापाक करतूतों से निजात मिले। हमें भी हमारे सभी पड़ौसी राष्ट्रों में से पाकिस्तान के प्रति ही सर्वाधिक सजग रहना पड़ता है। सैन्य और सुरक्षा बलों के हमारे लाखों जवान अनिश्चित पाकिस्तानी हरकतों और आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए सीमा पर और देश के अंदर सचेत रहते हैं। ऐसे में पाकिस्तान जैसे गैर ज़िम्मेदार पड़ौसी का होना भारत के लिए नासूर जैसा है।
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