पुलवामा हमले में आतंकियों के नापाक मंसूबों के आगे भारत ने अपने सुरक्षा बल के 40 से ज़्यादा जवान गवा दिए। आतंक और इसके सरताज पाकिस्तान के खिलाफ देशभर में रोष उमड़ पड़ा। उमड़ती जनभावनाओं के बीच सरकार ने वादा किया कि आतंकियों को किए की सजा ज़रूर मिलेगी। इसके बाद से ही सरकार कार्यवाही पर उतर आई और 6 कश्मीरी अलगाववादी नेताओं को दी जा रही सरकारी सुरक्षा छीन ली गई। उन्हें अब तक दी जाने वाली सभी सुविधाएं भी वापस ले ली गई है। अब देश मांग कर रहा है कि कश्मीर में युवाओं को भड़काने वाले, उन्हें पत्त्थरबाज बनाकर भारतीय सुरक्षा बलों से लड़ाने वाले इन पाकपरस्त सरदारों पर आगे कार्यवाही की जाए।
सरकार 100 करोड़ रूपए सालाना से अधिक खर्च करती है अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा पर:
यहां आपको बता दें कि आतंकवादियों से सुरक्षा के नाम पर केंद्र सरकार द्वारा कश्मीर के सैंकड़ों अलगाववादी नेताओं को सुरक्षा मुहैया करवाई जाती है। इन अलगाववादियों को स्वास्थ्य, हवाई टिकट, इनके वाहनों में डीज़ल-पेट्रोल व होटल में रहने-खाने जैसी सुविधाएं भी भारत सरकार द्वारा दी जाती है। हर साल इस पर 100 करोड़ रूपए से अधिक का खर्च आता है, जिसमें से 90 फ़ीसदी खर्च केंद्र सरकार वहन करती है।
कश्मीरियों को मुख्यधारा में लाने के लिए ये प्रयास ज़रूरी:
देश की संगठित भावना यहीं चाहती है कि कश्मीर के युवाओं में अलगाववाद की भावना पैदा करने वाले इन हुर्रियत के नेताओं को कश्मीर में घुसने पर पाबंदी लगा दी जाए, इन्हें नज़रबंद करके रखा जाए, किसी भी तरह के संपर्क से वंचित रखा जाए और देशविरोधी गतिविधियों या आतंक से संबंध की पुष्टि होने पर वहीं कार्यवाही की जाए जो किसी आतंकी के साथ की जाती है। इसके साथ ही सरकार कश्मीरी रहवासियों, वहां के आमजनों के मध्य सांस्कृतिक, शैक्षिक व सामाजिक अभिवृद्धि के क़दम उठाए। देश के बुद्धिजीवियों व विभिन्न क्षेत्रों के उत्कृष्ट लोगों को वहां के युवाओं से वार्ता के लिए भेजा जाए। भारत सरकार द्वारा वहां किए जा रहे विकास कार्यों से स्थानीय निवासियों को अवगत कयाया जाए, कश्मीरियों को मुख्यधारा में लाने के हर संभव प्रयास किए जाए। आतंक, हिंसा व अलगाव से जूझती कश्मीर घाटी में सौहार्द, शांति व सद्भावना स्थापित करने के ये कुछ उपाय निश्चित ही असरदार साबित होंगे।
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