पुलवामा पर देश एकजुट है, सुरक्षा बलों और सरकार के साथ है, लेकिन अनमनी राजशाही आज भी अमर्यादित है

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जम्मू कश्मीर के पुलवामा में कायर आतंकियों ने धोखे से हमारे सुरक्षा बल के 40 से अधिक जवानों के प्राण हर लिए। दिल दुखाने वाली इस घटना के बाद सारा देश क्षुब्ध हो चुका था, क्रुद्ध हो चुका था। देश के हर एक भाग से किसी वीर ने शहादत पाई थी। हर जगह दुःख पसरा था, आक्रोश पसरा था, आतंकियों के प्रति, आतंक को पालने वाले पाकिस्तान के प्रति।

तभी सरकार ने आह्वान किया, एकजुट हो जाओ, राजनीति मत करो। सारा विपक्ष सरकार के साथ हो लिया, धर्म एवं क्षेत्र के साथ राजनीतिक स्वार्थ एवं बहसबाजी भुला दी गई।

सर्वदलीय बैठक में प्रतिपक्ष ने भरोसा दिया, सत्ता पक्ष को साथ देने का, देश संगठित हो गया। किसी पार्टी प्रमुख की तरफ़ से सरकार की आलोचना नहीं की गई। बावजूद इसके राजशाही अमर्यादित निकली, गैर ज़िम्मेदार निकली। शहीद की शवयात्रा को जुलूस बना दिया गया, एक सांसद हंसते-मुस्कुराते रहे। 14 तारीख को शाम 4 बजे त्रासदी घट चुकी थी, और रात 11 बजे भी दिल्ली से सांसद मनोज तिवारी नाच-गाना कर रहे थे। उत्तर प्रदेश, वह सूबा जिसने सबसे ज़्यादा बेटे खो दिए, जहां शहीद परिवारों का रुदन अभी थमा नहीं, प्रधानमन्त्री वहां भी रैली कर आए, वोट मांग आए। इसी तरह भावुकता की इन घड़ियों में कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने जिस तरह दबे लहज़े में पाकिस्तान की तरफदारी की, वह हर किसी को नागवार गुज़रा।

सरपरस्ती को संक्रमण बनने से रोकना होगा:

पुलवामा की घटना के बाद देश व्यथित था। ऐसे समय पर राजनीति करना तो दूर, कोई यह शब्द भी नहीं सुनना चाहता था। बावजूद इसके देशभर में व्याप्त दुःख के बीच भी राजव्यवस्था आपको समझाती रही कि ”राजनीति मत करो, यह संगठित होने का समय है।” मतलब साफ़ था कि, इस दुःख की घडी में शहादत पर गर्व करते रहो और किसी तरह का कोई सवाल मत करो। इस तरह देशवासियों ने विश्वास बनाए रखा और मुश्किल ही कोई सवाल किया। व्यथा की इस घडी में देश शोकसंतृप्त ही रहा, मोमबत्तियां लेकर गलियों में निकलने लगा, आतंकी पाकिस्तान के खिलाफ हुंकार भरने लगा, देश के अमर हुतात्माओं को श्रद्धांजलि देने लगा, लेकिन सियासत नहीं सुधरी। देशभर में पुलवामा के शहीदों की चिताएं अभी ठंडी भी नहीं हुई होगी, लेकिन राजनीति शोक से बाहर आ चुकी है। ट्विटर पर #बूथ_बूथ_पर_भाजपा और #pakistanandcongress ट्रेंड हो रहा है। हमको फिर से आपस में लड़ाया जा रहा है, एक-दूसरे को गद्दार बताया जा रहा है, ज़िम्मेदार को बचाया जा रहा है और कोई आसान निशाना तैयार किया जा रहा है, जिसके खिलाफ देश अपना गुस्सा उतार सके। हमें सनद रहना होगा, सावधान रहना होगा, इस सरपरस्ती को संक्रमण बनने से रोकना होगा।

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