बुधवार को संसद में पेश हुई नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की साल 2017-18 की रिपोर्ट ने राफेल विमान सौदे से सम्बंधित उन अधिकतर आरोपों को झुठला दिया, जिनके आधार पर कांग्रेस पार्टी और इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी बीते वर्ष से ही मोदी सरकार को निशाना बना रहे थे। राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी लगातार मोदी सरकार द्वारा फ्रांस सरकार के साथ तय किए गए राफेल सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे थे। इस सौदे को लेकर विपक्ष का आरोप था कि मोदी सरकार ने अधिक कीमत में यह सौदा तय करके राष्ट्रीय सुरक्षा और अर्थव्यवस्था के साथ खिलवाड़ किया है। महीनों से चल रहे इस बवाल के बीच आज राज्यसभा में पेश हुई कैग रिपोर्ट की माने तो एनडीए सरकार का राफेल सौदा पिछली यूपीए सरकार के दौरान इस सौदे पर हुई वार्ता पेशकश की तुलना में 2.86 प्रतिशत सस्ता है।
समझे क्या कहा, कैग ने अपनी रिपोर्ट में:
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक राजीव महर्षि द्वारा तैयार यह रिपोर्ट कहती है कि एनडीए सरकार द्वारा तय सौदे में पहले 18 राफेल विमानों की डिलीवरी का समय, यूपीए द्वारा 126 विमानों के सौदे में प्रस्तावित पांच महीनों से बेहतर है। यूपीए के 126 राफेल विमान सौदे की तुलना में, 36 राफेल के अनुबंध द्वारा भारत को 17.08% की बचत हुई है। नए सौदे में विमान भी आवश्यकतानुसार विशिष्ट उपकरणों से लैस हैं। कुल मिलाकर भारत सरकार को 2015 में एनडीए द्वारा किए गए राफेल सौदे में 2007 के यूपीए सौदे की तुलना में 2.86 फ़ीसदी की बचत हुई है।
कैग की रिपोर्ट पर कांग्रेस ने जताया संदेह:
कैग की इस रिपोर्ट ने प्रधानमन्त्री मोदी पर अक्सर लगाए जाने वाले राहुल गांधी के उन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है जो 500 करोड़ के विमान को 1500 करोड़ रूपए में खरीदे जाने की बात कहते थे। ऐसे में कांग्रेस पार्टी इस रिपोर्ट पर उखड़ी हुई है। पार्टी की तरफ से रिपोर्ट पर संदेह व्यक्त करते हुए कहा गया कि- ”इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि संसद में कैग की रिपोर्ट ने संख्या को कम किया है। यह अपने आप में रिपोर्ट पर एक बड़ा सवालिया निशान खड़ा करता है। कीमतों की तुलना संरेखित मूल्य पर आधारित है, जिसकी गणना अपारदर्शी है।”
इसी के साथ राहुल गांधी ने फिर से संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मांग दोहरा दी है। राहुल ने कहा कि-
”36 राफेल विमानों के लिये भारत की जरूरतों के हिसाब से बदलाव 126 विमानों के जैसे ही हैं। नये सौदे में प्रति विमान 25 मिलियन यूरो ज्यादा भुगतान किया गया है, और इसी जगह पर भ्रष्टाचार हुआ है। यदि राफेल सौदे में कोई घोटाला नहीं हुआ है, तो एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के लिए भाजपा सहमति दें। बीजेपी को जेपीसी से डर क्यों लग रहा है!!”
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