मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल का अंतिम बजट 2018-19 के लिए पेश कर दिया है। वार्षिक तौर पर पेश होने वाले बजट के मायने राष्ट्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। बावजूद इसके भारत का एक बहुत बड़ा वर्ग बजट के कठिन समीकरणों को नहीं समझ पाता। इसका कारण यह कि सरकार के पास पैसा कहां से आता है, फिर पैसा कहां जाता है, राजस्व प्राप्ति और व्यय किन-किन क्षेत्रों पर निर्भर होते हैं, इसके प्रति जागरूकता का अभाव है। आज हम आपको समझाते हैं सरकार के राजस्व प्राप्ति और होने वाले व्यय का लेखा-जोखा, जिसे समझते हुए, आप सरकार के बजट का बेहतरी से आंकलन कर सकते हैं। इसके लिए हम आधार मानेंगे 1 रूपए को। जैसा कि हम जानते हैं कि 1 रूपए में 100 पैसे होते हैं। अब हम यह 1 रूपया सरकार के पास कहां-कहां से आया, यह समझते हुए, इस 1 रूपए का विभिन्न क्षेत्रों में व्यय को समझेंगे।
विभिन्न करों से बनता है और योजनाओं व आर्थिक सहायता में खर्च होता है रुपया:
कुल 1 रूपए में से केंद्र सरकार को अपने उधार और अन्य देयताओं से 19 पैसे प्राप्त होते हैं, ऋण एवं भिन्न पूंजी प्राप्तियों से 3 पैसे, कर भिन्न राजस्वरूप से 8 पैसे प्राप्त होते हैं। इसी तरह केंद्रीय उत्पाद शुल्क से 7 पैसे, सीमा शुल्क से 4 पैसे, व अन्य करों जैसे जीएसटी से 21 पैसे, निगम कर से 21 पैसे, साथ ही आयकर से 17 पैसे केंद्र सरकार को प्राप्त होते हैं। ये सभी प्राप्तियां मिलकर सरकार का राजस्व बनाती है।
केंद्र सरकार का यह रुपया विभिन्न तरीकों से बंटता-बंटता खर्च होता है। जो ऋण सरकार पर होता है उसकी ब्याज अदायगी में 18 पैसा खर्च होता है, केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के लिए 12 पैसे, केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए 9 पैसे, 23 पैसे के रूप में करों व शुल्कों में राज्यों को हिस्सा, सरकारी कर्मियों को पेंशन के लिए 5 पैसे, रक्षा के लिए 8 पैसे, आर्थिक सहायता हेतु 9 पैसे, वित्त आयोग व अन्य अंतरणों के लिए 8 पैसे तथा अन्य व्यय के लिए 8 पैसे सरकार खर्च करती है। इस तरह सम्पूर्ण रूपए का हिसाब किया जाता है।
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