भारतीय बैंकिंग इंडस्ट्री में पुरुष वर्चस्व को तोड़कर एक नई लकीर खींचने वाली चन्दा कोचर ने साल 1984 में बतौर मैनेजमेंट ट्रेनी आईसीआईसीआई बैंक में नौकरी शुरू की थी। मैनेजमेंट स्टडीज़ की मास्टर्स डिग्री में गोल्ड मैडल हासिल करने वाली प्रतिभाशाली चन्दा कोचर ने अपने प्रोफेशनल करियर में भी साल दर साल तरक्की के नए आयाम छुए।
स्वाधीन भारत के शुरूआती दौर साल 1955 में देश के उद्योग, व्यवसायों को प्रोजेक्ट आधारित वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाने के लिए संयुक्त उपक्रम वित्तीय संस्थान के रूप में गठित आईसीआईसीआई बैंक, 1994 तक आते-आते संपूर्ण स्वामित्व वाली बैंकिंग कंपनी बन गई थी। तब तक चंदा कोचर को आईसीआईसीआई की असिस्टेंट जनरल मैनेजर पदवी मिल चुकी थी। अपने काम को लेकर जुनूनी रही चन्दा कोचर फिर बैंक में डिप्टी जनरल मैनेजर, जनरल मैनेजर, एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर, चीफ़ फ़ाइनेंशियल ऑफ़िसर बनी। आईसीआईसीआई में चन्दा का कद और पद दोनों बढ़ते गए। 2009 में उन्हें बैंक का सीईओ और एमडी बनाया गया। इसके बाद आईसीआईसीआई ने रिटेल सेक्टर का वित्तपोषण करना शुरू किया। शुरूआती वर्षों में ही शानदार सफलता हाथ लगी। आईसीआईसीआई भारत के बड़े निजी बैंकों की कतार में अव्वल हो गया। वर्ष 2009 में फ़ोर्ब्स ने चन्दा कोचर को दुनिया की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की फेहरिस्त में 20वां स्थान दिया। 2011 में भारत सरकार ने तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म भूषन से सम्मानित किया। यह चन्दा कोचर का स्वर्णिम काल था, दुनियाभर में चन्दा अपने पैरों पर खड़ी होकर सफलता की बुलंदियां छूने का ख्वाब सजोने वाली महिलाओं के लिए रोल मॉडल बन चुकी थी।
फिर 2012 में ऐसा क्या हुआ कि आज चन्दा पर सवाल उठने लगे:
साल 2018 की शुरुआत तक चन्दा कोचर के लिए सब अच्छा चल रहा था। फिर 31 मार्च 2018 को इंडियन एक्सप्रेस अखबार द्वारा छापी गई एक रिपोर्ट ने सरेआम चन्दा कोचर की ईमानदारी पर सवाल उठा दिए। इस रिपोर्ट में दावा किया गया कि साल 2012 में वीडियोकॉन को आईसीआईसीआई बैंक से 3250 करोड़ का लोन मिला तथा बैंक सीईओ (चन्दा कोचर) के पति (दीपक कोचर) को वीडियोकॉन के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत से हितकारी मुनाफ़ा हुआ। इस रिपोर्ट में चन्दा कोचर द्वारा अपने पद का गलत इस्तेमाल करते हुए आपसी हितों के कारण पहले वीडियोकॉन को लोन देने और फिर उसे एनपीए घोषित करने का आरोप लगाया गया।
समझिए क्या है यह मामला:
चन्दा कोचर की प्रख्यात हस्ती को कुख्यात बनाने की ज़ुर्रत करते इस पूरे मामले की शुरुआत होती है साल 2012 से, जब स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (एसबीआई) की अगुवाई में गठित 20 बैंकों के एक कंसोर्टियम में सम्मिलित होकर आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन ग्रुप (वीडियोकॉन और इसकी 5 अन्य सहायक कंपनियां) को 3250 करोड़ रुपये का लोन दिया।
अरविन्द गुप्ता नामक एक व्हिसलब्लोअर जोकि उस समय आईसीआईसीआई बैंक और वीडियोकॉन में निवेशक थे, ने 22 अक्टूबर 2016 को एक ब्लॉग पोस्ट लिखकर इस पूरे लेनदेन में चन्दा कोचर की भूमिका के प्रति असंदिग्धता जाहिर की। अपने ब्लॉग में गुप्ता ने 15 मार्च, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ ही अन्य सरकारी विभागों को भेजा गया पत्र भी शामिल किया। खुलासा अरविन्द गुप्ता कर चुके थे, लेकिन तब यह खबर इतनी प्रासंगिक नहीं रही। 3250 करोड़ रूपए के कुल लोन में से 86 फ़ीसदी मतलब 2810 करोड़ रूपए वीडियोकॉन ने आईसीआईसीआई को नहीं लौटाए थे तथा 2017 में वीडियोकॉन के ख़ाते को आईसीआईसीआई की तरफ़ से एनपीए घोषित कर दिया गया था, मतलब वह 86 फ़ीसदी की रकम अब वीडियोकॉन को चुकानी भी नहीं थी। इसके बाद 31 मार्च 2018 को इंडियन एक्सप्रेस ने इस पूरे मामले को लेकर अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की। चन्दा व उनके पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन के वेणुगोपाल धूत पर परस्पर फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया गया।
इस न्यूज़ रिपोर्ट के आते ही अगले ही महीने देश की शीर्ष जांच संस्था सीबीआई ने इस केस को अपने हाथ में लिया और आईसीआईसीआई बैंक की तत्कालीन सीईओ चन्दा कोचर के पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन समूह के अधिकारियों के बीच हुए लेनदेन की जांच शुरू की।
साल 2018 की ही 25 मई को सेबी ने चंदा कोचर और आईसीआईसीआई बैंक को इस लोन केस के विवाद से सम्बंधित नोटिस जारी किया था।
चूँकि इस प्रकरण में चन्दा कोचर की भूमिका संदेह के घेरे में थी, तो मई अंत में आईसीआईसीआई बैंक ने चन्दा कोचर के 2009 से 2018 तक के कार्यकाल की जांच करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायधीश बीएन श्रीकृष्णा के नेतृत्व में एक समिति गठित कर दी। 18 जून को चन्दा कोचर छुट्टी पर चली गई, बाद में 4 अक्टूबर को इस्तीफा भी दे दिया। बैंक द्वारा गठित स्वतंत्र जांच समिति की जांच पूरी हो गई। जांच समिति ने चंदा कोचर को दोषी मानते हुए कहा कि वीडियोकॉन को लोन देने के मामले मामले में हितों का टकराव हुआ है। इससे सीधे तौर पर चन्दा और उनके पति दीपक कोचर को फ़ायदा हुआ है।
स्वतंत्र जांच समिति का फैसला चन्दा कोचर के प्रतिकूल आया है। अब तक दीपक कोचर और वीडियोकॉन पर जांच कर रही सीबीआई भी चंदा को अपनी जांच के घेरे में ले चुकी है। इस तरह चन्दा और उनके पति के खिलाफ आपराधिक साज़िश रचने और धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर, सीबीआई अभी जांच कर रही है। बैंक जांच रिपोर्ट में दोषी पाए जाने के बाद आईसीआईसीआई अब चन्दा कोचर के इस्तीफे को टर्मिनेशन ऑफ़ कॉज मान रहा है। मतलब यह कि चन्दा को बैंक ने धोखाधड़ी करने पर निष्काषित किया है। इस स्थिति में उन्हें 2009 से अब तक के सभी बोनस ब्याज सहित बैंक को लौटने होंगे।