जानिए भारत रत्न प्रणब मुखर्जी, नानाजी देशमुख और भूपेन हज़ारिका के बारे में

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देश के 70वें गणतंत्र दिवस से एक दिन पूर्व भारत सरकार ने पद्म पुरस्कारों के साथ ही देश की तीन विभूतियों, नानाजी देशमुख, भूपेन हज़ारिका और प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न देने की घोषणा कर दी है। साल 2015 में मदन मोहन मालवीय और अटल बिहारी बाजपेयी को भारत रत्न देने के तीन साल बाद मोदी सरकार ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान की घोषणा की है। तो आइए जानते हैं इस बार भारत रत्न से सुशोभित होने वाले तीनों व्यक्तित्वों के बारे में।

ग्रामीण भारत के सशक्तिकरण का कार्य किया नानाजी देशमुख ने:

11 अक्टूबर 1916 को तत्कालीन बम्बई के हिंगोली ज़िले में जन्म हुआ चण्डिकादस अमृतराव देशमुख का। 10 वर्ष की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से प्रभावित हो गए थे। यह मानने लगे कि भारत को ब्रिटिश शासन से आज़ादी दिलाने का काम आरएसएस करेगा। समर्पित भाव से संघ से जुड़े रहने, अथक समाज सेवा, व दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय को धरातल पर लागू कर ग्रामोदय के लिए जीवनरत रहे इस शख्श को नानाजी देशमुख के नाम से जाना गया। नानाजी देशमुख भाजपा के आधारीय संगठन जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे। 1975 में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लगाए आपातकाल के दौरान कठिन संघर्ष में जयप्रकाश नारायण के निष्ठावान सहयोगी रहे तथा करीब 17 महीने जेल में गुजारे। 1977 में यूपी के बलरामपुर से निर्वाचित होकर लोकसभा पहुंचे नानाजी 1999 में राज्यसभा के लिए चुने गए। वे मानते थे कि 60 वर्ष के बाद सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए। ऐसे में राजनीतिक जीवन से निर्मोही होकर नानाजी देशमुख भारत के ग्रामीण परिवेश में नौजवानों के चरित्र निर्माण व सामाजिक उत्थान के कार्यक्रमों में लीन हो गए। नानाजी उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के करीब 500 गांवों में सकारात्मक सामाजिक क्रान्ति के वाहक बने। चित्रकूट को अपनी कर्मभूमि बनाने वाले नानाजी देशमुख का निधन 95 वर्ष की आयु में 27 फरवरी 2010 को हुआ। मरणोपरांत उनकी देह को शोध कार्य के लिए ऑल इण्डिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस को दान किया गया।

48 साल के अनुशासित राजनीतिक जीवन के धनी प्रणब मुखर्जी:

11 दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के मिराती गांव में जन्मे प्रणब मुखर्जी 2012 से 2017 तक भारत के 13वें राष्ट्रपति रहे। संयमित, अनुशासित और बेदाग़ राजनीतिक जीवन के प्रतिमान माने जाने वाले प्रणब मुखर्जी ने कई बार भारत सरकार के रक्षा, वित्त व विदेश मंत्रालय का पदभार संभाला है। प्रणब मुखर्जी ऐसे नेता रहे है, जिनके खुद प्रधानमन्त्री मोदी भी प्रशंसक है। 2008 में पद्म विभूषण से सम्मानित होने वाले प्रणब दा को 2019 में भारत सरकार ने भारत रत्न से अलंकृत किया है।

अपने संगीत से दुनियाभर में प्रख्यात हुए भूपेन हज़ारिका:

‘शुद्धकण्ठ’ उपनाम से प्रसिद्ध भूपेन हज़ारिका एक विराट व्यक्तित्व के धनी माने जाते है। गीतकार, संगीतकार, गायक, फिल्मकार, कवि व राजनेता रहे हज़ारिका को संगीत नाटक अकादमी, दादासाहब फाल्के व तीनों पद्म पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके थे। विशेषकर बंगाली और असमी में हज़ारों गानों का अनुवाद करने वाले भूपेन हज़ारिका को इस बार भारत रत्न से सुशोभित किया गया है।

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