साल 1995 की 26 जनवरी को दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति व रंगभेद के ख़िलाफ़ तथा समानता के लिए संघर्ष करने वाले महान नेता नेल्सन मंडेला भारत के गणतंत्र दिवस समारोह का हिस्सा बने थे। तब प्रधानमन्त्री पीवी नरसिम्हा राव ने मंडेला की मेजबानी की थी। इसके बाद मार्च 1997 में नेल्सन मंडेला के भारत दौरे के समय भारत और दक्षिण अफ्रीका के मध्य सामरिक साझेदारी के लिए ‘लाल क़िला घोषणा’ हुई थी। 2017 में इस साझेदारी की 20वीं वर्षगांठ मनाने के लिए, प्रिटोरिया में भारत के उच्चायोग ने एक भारत-दक्षिण अफ्रीका सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया था।
इस बार रामफोसा होंगे हमारे गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि:
वर्ष 1995 के गणतंत्र दिवस के 24 वर्ष बाद अब दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा भारत के 70वें गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि होंगे। भारतीय संविधान के लागू होने की 70वीं वर्षगांठ पर राजधानी दिल्ली में आयोजित होने वाले गणतंत्र दिवस समारोह में सम्मिलित होने के लिए भारत आए रामफोसा का राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत किया गया। दिल्ली में आयोजित हुए पहले “गांधी-मंडेला स्वतंत्रता भाषण” कार्यक्रम में दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने संबोधन दिया। रामफोसा महात्मा गांधी के समाधि स्थल ‘राजघाट’ पर भी गए। इसके बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा के बीच नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में शिष्टमंडल स्तर की वार्ता हुई।
150 वर्षों से बने हुए है भारत-दक्षिण अफ्रीका सम्बन्ध:
गौरतलब है कि भारत और दक्षिण फ्रीका के मध्य सामरिक संबंधों का इतिहास 150 से अधिक वर्षों का है। महात्मा गांधी ने अपना पहला सविनय अवज्ञा आंदोलन 1906 में दक्षिण अफ्रीका में प्रारम्भ किया था। इसके बाद अनेकों बार समानता के लिए नस्लभेद, रंगभेद व औपनिवेशी राजशाही के ख़िलाफ़ भारत-दक्षिण अफ्रीका ने संघर्ष किया।
व्यापारिक रिश्तों को देखें तो साल 2017 – 18 में दोनों देशों के मध्य करीब 418 मिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार हुआ था। दोनों राष्ट्रों के प्रगाढ़ संबंधों का पता इससे चलता है कि दक्षिण अफ्रीका में भारत के तीन दूतावास व एक उच्च आयोग है। इस तरह रक्षा, संस्कृति, स्वास्थ्य, कृषि, वाणिज्य, प्रशासन, विज्ञान एवं तकनीकी, शिक्षा आदि क्षेत्रों में भारत व दक्षिण अफ्रीका प्रबल सहयोगी बनकर उभरे हैं।
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