उच्च शिक्षा में 200 प्वाइंट की रोस्टर प्रणाली ख़त्म किए जाने सम्बंधित इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बरकरार रखे जाने के बाद से बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार मोदी सरकार पर आरक्षण के संवैधानिक उपबंधों को कमज़ोर करने का आरोप लगा रहे है। इसी के साथ साल के शुरुआत में सरकार द्वारा लाए गए 10 फ़ीसदी आर्थिक आरक्षण बिल पर भी तेजस्वी यादव मुखर होकर सवाल कर रहे है।
आर्थिक आधार पर आरक्षण को आरक्षण समाप्ति की कोशिश कहा:
तेजस्वी यादव ने ट्वीट करते हुए कहा कि ”हम सवर्ण आरक्षण लागू करने के तरीक़े का विरोध कर रहे है। बिना किसी पद्धति, जाँच, आयोग, सर्वे और सर्वेक्षण के इन्होंने मात्र चंद घंटों में संविधान से छेड़छाड़ कर संशोधन कर दिया। जातिवादी मोदी सरकार द्वारा जल्दबाज़ी में लागू किए गए इस आरक्षण का हश्र नोटबंदी जैसा ही होगा।”
अपने अगले ट्वीट में तेजस्वी ने कहा कि ”देश के बहुजन वर्षों से 50% फ़ीसदी आरक्षण की सीलिंग बढ़ाने की माँग कर रहे थे लेकिन अन्यायी जातिवादियों ने नहीं बढ़ाया और ना ही बढ़ने दिया लेकिन सवर्ण आरक्षण बिन माँगे चंद घंटों में दे दिया। नागपुरिए जातिवादियों को आपके वोट से डर नहीं लगता। समझिये, ये आरक्षण समाप्ति की शुरुआत है।”
आरक्षण के लिए 8 लाख तक के क्राइटेरिया पर किया तंज:
आर्थिक आरक्षण लागू करने के प्रावधानों में 8 लाख रूपए सालाना कमाई तक के अनारक्षित वर्ग को शामिल करने पर तेजस्वी यादव ने मोदी सरकार पर तंज करते हुए ट्वीट किया ”बताइये, 8 लाख सालाना यानी 66,666 रू महीने में कमाने वाला ग़रीब कैसे हुआ? अजीब गणित है भाई? 8 लाख सालाना कमाने पर आपको 20% टैक्स यानि 72,500 रू सालाना टैक्स देना पड़ रहा है। जो व्यक्ति 72500₹ टैक्स देता है सरकार उसे ग़रीबी का आरक्षण दे रही है। वाह रे विद्वानों! वाह मोदी जी वाह!”
आर्थिक आरक्षण के विरोध में आर-पार की लड़ाई लड़ने और लाठी, गोली खाने की बात कही:
देश में रोजगार के हालात और आरक्षण की दुविधा पर तेजस्वी ने ट्वीट करते हुए कहा कि “बेरोज़गारी हटाओ, आरक्षण बढ़ाओं, अब आर-पार लड़ाई होगी। निजी क्षेत्र में भी आरक्षण लागू करना होगा। आरक्षण बढ़ाकर 90% करना होगा, करना होगा। हमने लड़ाई ठान ली है अब चाहे जेल जाए या गोली लगे, लड़ेंगे।”
बिना किसी जांच, रिपोर्ट के आरक्षण लागू करने पर उठाए सवाल:
ट्वीट के जरिए तेजस्वी यादव ने कहा कि ”बताओ, किस आधार पर मनुवादी सरकार ने जातिगत आरक्षण व सामाजिक पिछड़ेपन का आधार बदल आर्थिक आधार में तब्दील कर दिया? किस रिपोर्ट, आयोग और सर्वेक्षण के आधार पर?
1931 की गणना अनुसार 52% OBC को 27% आरक्षण देने के लिए 1978 में मंडल कमीशन बना। रिपोर्ट आई 1980 में। लागू होने की घोषणा हुई 1990 में, लागू हुआ 1993 में। उच्च शिक्षण संस्थानों मे 2008 में लागू हो पाया। कितना आंदोलन हुआ,कितने खून बहे, कितने लोग लाठियां खाए इन सबकी कल्पना नही जा सकती।”
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