ईवीएम से ही होगा 2019 का चुनाव, बैलट पेपर पर नहीं लौटेगा चुनाव आयोग

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भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने गुरुवार को स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि देश में सभी चुनाव ईवीएम से ही संपन्न करवाए जाएंगे, बैलट पेपर पर वापस नहीं लौटेंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि ”यदि परिणाम अनुकूल आ जाता है, तो ईवीएम को सही ठहराया जाता है, लेकिन परिणाम के प्रतिकूल आने पर ईवीएम पर गलत होने के आरोप लगते हैं। यह मशीन देश के दो बड़े सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा तैयार की जाती है। यह पूरी तरह से उच्च स्तरीय सुरक्षा मानकों पर खरी उतरती है ऐसे में किसी प्रेरित उद्देश्य से ईवीएम पर सवाल उठाना उचित नहीं। भारत का वर्तमान चुनाव आयोग, पूर्व चुनाव आयोग एवं कोई भी नहीं चाहता कि बैलट पेपर से चुनाव हो, जिससे कि बूथ कैप्चरिंग की घटनाएं होने लगे, बाहुबल के द्वारा चुनाव  जाए, मतगणना एवं परिणामों में बाधा डाली जाए। इसलिए देश में चुनाव के लिए ईवीएम और वीवीपेट का उपयोग जारी रखा जाएगा। फीडबैक का हम स्वागत करते है, पर हम किसी भी तरह के दबाव में नहीं आएंगे।”

राजनीतिक दलों के दबाव में चुनाव आयोग दे चुका है ईवीएम हैक करने की चुनौती:

हाल ही के वर्षों में ईवीएम हैकिंग पर सवाल 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव बाद लगने शुरू हुए। उस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को मिली अप्रत्याशित जीत से सभी विपक्षी दलों में हड़बड़ी मच गई थी। तब भाजपा पर 2014 से लेकर सभी चुनाव में ईवीएम हैक करने का आरोप कई विपक्षी पार्टियों द्वारा मढ़ा गया था। हालांकि ये आरोप बगैर सबूत के व तथ्यहीन थे। बावजूद इसके निर्वाचन आयोग ने सभी राजनीतिक दलों की संतुष्टि हेतु ईवीएम को हैक करने या इसमें किसी तरह की गड़बड़ी करने की चुनौती देश के सभी विशेषज्ञों व संगठनों को दे डाली थी। कमाल की बात यह कि उस चुनौती को किसी भी दल ने स्वीकार नहीं किया। बावजूद इसके ईवीएम पर संदेह अक्सर व्यक्त किया जाता रहा है। इसी के साथ आपको बता दें कि ईवीएम मशीन में अनियमितता को लेकर सवाल सबसे पहले वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी द्वारा उठाया गया था। इसी के साथ भाजपा नेता जीवीएल नरसिम्हा राव द्वारा 2010 में लिखी गई एक किताब में ईवीएम की कार्यप्रणाली में अनियमितता के बारे में बताया था।

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