वाइब्रेंट गुजरात के मायने, जिसके सहारे नरेंद्र मोदी ने पेश किया था गुजरात मॉडल

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वाइब्रेंट गुजरात की 9वीं ग्लोबल समिट का आयोजन 18, 19, 20 जनवरी 2019 को गुजरात की राजधानी गांधीनगर के महात्मा मंदिर में किया जा रहा है। यह शिखर सम्मेलन वैश्विक स्तर के प्रतिभागियों के बीच नेटवर्किंग और ज्ञान साझा करने की प्रकृति में विविधता लाने के उद्देश्य से वर्ष 2003 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया था। उसके बाद से प्रत्येक दो वर्ष में इस सम्मलेन का आयोजन किया जाता है। नीदरलैंड, रशिया, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क, यूएई, जापान, फ्रांस, दक्षिण कोरिया समेत कुल 15 राष्ट्र इस समिट में अपनी भागीदारी दर्शाते हैं। इस के साथ वाइब्रेंट गुजरात द्वारा स्टार्टअप इंडिया, मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, डिज़िटल इंडिया जैसे भारत सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों का प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है।

आंकड़ों में गुजरात का महत्व:

भारत के 6 प्रतिशत क्षेत्रफल व 5 प्रतिशत जनसंख्या का वहन करने वाला गुजरात राज्य 984598 करोड़ रूपए के साथ देश की जीडीपी में 8 प्रतिशत योगदान देता है। देशभर की 10 प्रतिशत फैक्ट्रिया गुजरात में है, यह राज्य देश के कुल औद्योगिक उत्पादन में 17 प्रतिशत भागीदारी करता है। देश के 22 प्रतिशत से अधिक निर्यात का संचालन गुजरात द्वारा किया जाता है। देश का 40 फ़ीसदी के करीब समुद्री व्यापार गुजरात के बंदरगाहों से होता है।

वाइब्रेंट गुजरात से होती है गुजरात मॉडल की उत्पत्ति:

वाइब्रेंट गुजरात वह ज़रिया है जिसके माध्यम से वर्तमान प्रधानमन्त्री व गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर के सामने गुजरात मॉडल पेश किया। गोधरा से धूमिल हुई मोदी की छवि को धोने का काम वाइब्रेंट गुजरात ने किया। भारत में अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के दशकभर बाद नरेंद्र मोदी ने गुजरात की राष्ट्रीय पहचान को अंतर्राष्ट्रीय बना दिया। यह पहली बार था जब हिन्दुस्तान के एक राज्य ने उद्योग, व्यापार, वाणिज्य, निवेश, आयात, निर्यात की विकासपरक वैश्विक शब्दावली में अपना अलग स्थान बनाया। साल 2003 में कन्फेडरेशन ऑफ़ इंडियन इंडस्ट्रीज (सीआईआई) की बैठक आयोजित कर तब मोदी ने देशभर के व्यापारी, उद्यमियों को गुजरात में निवेश करने का प्रस्ताव दिया। देश के बड़े कॉर्पोरेट्स को गुजरात में निवेश के नियमों-विनियमों में भारी छूट देकर राज्य में व्यापार को आसान बना दिया।

राज्य में रोजगार के क्षेत्र में अभूतपूर्व अभिवृद्धि हुई। मोदी के मुख्यमंत्री रहते राज्य में निजीकरण की बाढ़ सी आ गई। फैसले त्वरित और सटीक लिए जाने लगे, बड़े-बड़े प्लांट लगाए जाने लगे, बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ ही घरेलू, लघु एवं मध्यम प्रयासों को भी गति मिली। तीव्रता से औद्योगिक प्रगति करता हुआ गुजरात देशभर में विकास का मानक बनकर उभरा। 2014 में इसी गुजरात को एक अंतर्राष्ट्रीय मॉडल के रूप में पेश कर, नरेंद्र मोदी भारत के युवाओं, मध्यम तबके और विकास चाहने वाले हर वर्ग के लिए आइकन बनकर सामने आए।

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