भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने यूएई दौरे के एक सम्बोधन में साफ़ तौर पर कहा कि- ”कांग्रेस पार्टी की प्रतिबद्धता स्पष्ट है; जैसे ही हम 2019 का चुनाव जीतेंगे, हम आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दे देंगे।”
राहुल के इस बयान के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि 2019 का आम चुनाव विपक्षी महागठबंधन के साझा हितों को साधने की कोशिश होगी। साथ ही आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू दक्षिण भारत में बड़ी भूमिका निभा सकते है।
विशेष राज्य के दर्ज़े की मांग पर एनडीए से अलग हुए थे नायडू:
फरवरी 2014 में आंध्र प्रदेश से अलग होकर तेलंगाना के उदय होने के साथ ही आंध्र अपने लिए विशेष राज्य के दर्ज़े की मांग कर रहा है। आंध्र में सत्ताधारी तेलगू देशम पार्टी के अगुआ और राज्य के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने 2014 में एनडीए में घटक दल के रूप में सम्मिलित होने की स्वीकृति भी प्रदेश को विशेष राज्य का दर्ज़ा दिए जाने की मांग पर दी थी। बावजूद इसके केंद्र सरकार आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्ज़ा देने पर सहमत नहीं है। इस पर टीडीपी का कहना है कि तेलंगाना, संयुक्त आंध्र का सर्वाधिक समृद्ध भाग था। तेलंगाना का अलग राज्य बन जाने के कारण आंध्र प्रदेश की आर्थिक स्थिति कमज़ोर हो गई है। ऐसे में केंद्र सरकार उसे विशेष राज्यों की श्रेणी में शामिल करे। अपनी इसी मांग को लेकर लम्बे समय से टीडीपी सांसद सदन में भी सरकार के सामने प्रदर्शन कर रहे हैं।
आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य की मांग को लेकर ही टीडीपी पिछले वर्ष लोकसभा में सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी। इस दौरान भाजपा सरकार ने सीधे तौर पर इस मांग को अस्वीकृत कर दिया था। इसके बाद टीडीपी, एनडीए का साथ छोड़कर विपक्षी खेमे से मिल चुकी है। 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा और मोदी सरकार के विरोध में एकजुट हो रहे महागठबंधन में इस समय टीडीपी प्रमुख भूमिका में नज़र आ रही है।
आंध्र में प्रबल जनाधार रखती है टीडीपी:
गौरतलब है कि तेलुगु देशम पार्टी आंध्र प्रदेश में व्यापक जनाधार रखती है। राज्य में सरकार के साथ ही लोकसभा में 15 सांसद तथा संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में 6 सांसद टीडीपी के हैं। नायडू के बारे में कहा जाए तो एन.टी.रामाराव के बाद आंध्र प्रदेश की राजनीति के सबसे दिग्गज किरदारों में अव्वल आते है। नायडू तीन बार आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बन चुके है।
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