राजस्थान विधानसभा की 200 विधानसभा सीटों में से कुछेक ही ऐसी रही है जिन्हें पूर्वनिर्धारित माना जा सकता हो। इन्हीं कुछेक में शामिल है जयपुर की सांगानेर विधानसभा। एक बड़े क्षेत्रफल को अपने दायरे में रखने वाली सांगानेर विधानसभा में 3 लाख के करीब मतदाता आते हैं। पिछले 3 विधानसभा चुनावों से यहां राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की आधारशिला रहे घनश्याम तिवाड़ी बड़े अंतर से विजयी होते आए हैं। तिवाड़ी के एकछत्र प्रभुत्व और मज़बूत जनाधार के कारण यहां हर बार मुक़ाबला एकतरफा होता रहा है।
इस बार भाजपा से नाता तोड़कर जाट नेता हनुमान बेनीवाल की ‘राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी‘ के साथ गठबंधन कर, प्रदेश में तीसरे मोर्चे की हुंकार भर रहे ‘भारत वाहिनी पार्टी‘ के संस्थापक घनश्याम तिवाड़ी के सामने कांग्रेस ने पुष्पेंद्र भारद्वाज और भाजपा ने अशोक लाहौटी को मैदान में उतार दिया है।
कांग्रेस ने दिया नए चेहरे को मौक़ा:
सांगानेर की सीट से इस बार कांग्रेस ने किसी आला दर्ज़े के नेता को टिकट न देकर युवा नेता पुष्पेंद्र भारद्वाज को मौक़ा दिया है। छात्रजीवन से राजनीति में सक्रिय भारद्वाज राजस्थान विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष रह चुके हैं। इसके साथ ही पिछले करीब 5 साल से क्षेत्र में मेहनत कर रहे हैं। सांगानेर सीट पर कांग्रेस की उपलब्धि देखी जाए तो 1993 और 1998 के चुनावों में कांग्रेस की इंदिरा मायाराम ने यहां से लगातार दो बार जीत हासिल की थी। लेकिन इसके पहले और बाद का काल कांग्रेस के लिए सूखे जैसा रहा।
कमज़ोर साबित हो सकते हैं लाहौटी:
सांगानेर सीट से भाजपा ने जयपुर नगर निगम के वर्तमान महापौर अशोक लाहौटी को मौक़ा दिया है। प्रदेश में भाजपा राज के प्रति बढ़ती नाराज़गी और तिवाड़ी की पूरी तरह लामबंदी के बाद युवा नेता लाहौटी इस मुक़ाबले में कहीं भी टिक पाएंगे, इसके ज़रा भी आसार नज़र नहीं आते। ऐसे में सांगानेर और लाहौटी दोनों भाजपा के लिए कमज़ोर कड़ी साबित हो सकते हैं।
घनश्याम तिवाड़ी का तोड़ नहीं आसान:
सांगानेर विधानसभा से लगातार तीन चुनाव जीतने वाले घनश्याम तिवाड़ी सांगानेर के साथ ही प्रदेशभर में माने हुए दिग्गज राजनेता है। कुछ समय पहले तक भाजपा में रहे घनश्याम तिवाड़ी का मुक़ाबला अभी तक चिर प्रतिद्वंदी कांग्रेस पार्टी से ही होता आया है। 2008 में कांग्रेस के पंडित सुरेश मिश्रा को 33 हज़ार वोटों से हराने वाले तिवाड़ी ने 2013 में कांग्रेस के संजय बापना को 65 हज़ार से अधिक वोटों से भारी मात देकर कांग्रेस के हौंसलें पस्त कर दिए थे।
70 वर्ष के तिवाड़ी को 40 साल से अधिक लम्बी राजनीति का अनुभव है। साल 1980 में जनसंघ से भाजपा के गठन के समय से ही तिवाड़ी विधायक बनते आए हैं। दो बार सीकर, एक बार चौमू और तीन बार सांगानेर से जीतकर विधानसभा पहुँचने वाले तिवाड़ी को भाजपा या कांग्रेस का कोई नेता उनके ही क्षेत्र में पटखनी दे पाए, ऐसी संभावना बहुत ही कठिन नज़र आती है।