भूटान को पंचवर्षीय योजना के क्रियान्वयन के लिए 4500 करोड़ रुपए देगा भारत, राजनयिक संबंधों की गोल्डन जुबली पर भारत आए भूटान के प्रधानमंत्री

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भारत और भूटान के राजनयिक संबंधों के 50 वर्ष होने पर भूटान के प्रधानमन्त्री लोटे शेरिंग अपने तीन दिवसीय विदेश दौरे पर भारत आए। भूटान में हालियां संपन्न हुए चुनावों के बाद नवगठित सरकार में शेरिंग का प्रधानमन्त्री के तौर पर यह पहला विदेशी दौरा रहा।

शुक्रवार को शेरिंग और प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की मुलाक़ात के बाद यह तय हुआ कि भारत भूटान को उसकी 12वीं पंचवर्षीय योजना के क्रियान्वयन के लिए 4500 करोड़ रुपए की सहायता देगा।

गौरतलब है कि वर्ष 1968 में भारत-भूटान के मध्य राजनयिक सम्बन्ध कायम हुए थे। उसी साल भारत का विशेष कार्यालय भूटान की राजधानी थिम्पू में स्थापित किया गया था। भारत और भूटान के बीच सहयोग और मित्रता के लिए साल 1949 में पहली बार संधि हुई थी। इसके बाद 2007 में उस संधि का पुनरीक्षण किया गया था।

द्विपक्षीय संबंध में अहम सहयोगी हैं भारत और भूटान:

भारत और भूटान के बीच द्विपक्षीय संबंधों का इतिहास काफी समृद्ध है। व्यापार, सुरक्षा, हाइड्रो पावर, जल संसाधन, साझा विकास में भागीदारी, परिवहन, आर्थिक विकास आदि मोर्चे पर भारत और भूटान द्विपक्षीय सहयोगी हैं। व्यापारिक दृष्टि से भारत, भूटान का सबसे बड़ा सहयोगी राष्ट्र है। दोनों देशों के मध्य व्यापारिक संबंधों की शुरुआत 1972 में भारत-भूटान व्यापार एवं परिवहन समझौते के तहत हुई। समझौते के अनुसार दोनों राष्ट्रों के मध्य मुक्त शुल्क व्यापार एवं परिवहन का प्रावधान किया गया। यहां आपको बता दें कि तकरीबन 60 हज़ार भारतीय भूटान में रहते हैं। उनमे से अधिकांश हाइड्रोपावर प्लांट और निर्माण कार्य में लगे हुए हैं। इसके अलावा भारत-भूटान सीमा के पास के गाँवों से रोजाना 8-10 हज़ार लोग सीमा पार आते और जाते हैं। इसी के साथ भूटान के करीब 4000 छात्र भारत के विश्वविद्यालयी शिक्षा प्राप्त करते हैं।

भारत पर निर्भर है भूटान की हाइड्रोपावर परियोजना:

भारत सरकार ने भूटान में तीन जल-विद्युत् परियोजनाओं (हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट्स)  का निर्माण किया था। इसके बाद अप्रैल 2014 में दोनों देशों की सरकारों के बीच यह समझौता हुआ था कि भारत और भूटान संयुक्त उपक्रम के जरिए भूटान में 4 और जल-विद्युत् परियोजनाओं का निर्माण करेंगे।

इसके अंतर्गत भारत भूटान की शाही सरकार को हाइड्रोपावर के क्षेत्र में कम से कम 10 हज़ार मेगावॉट ऊर्जा उत्पादक राष्ट्र बनने में सहायता देगा। साल 2020 से इस प्रोजेक्ट के तहत भारत, भूटान से ऊर्जा आयात करने लगेगा।

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