‘तीन तलाक़ का विरोध’ वह विषय था जिसे 2014 में सत्ता में आई भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में शामिल कर रखा था। सरकार में आने के बाद भी भाजपा और खुद प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने अक्सर ही सार्वजनिक मंचों से तीन तलाक़ का विरोध किया है। सर्वोच्च न्यायालय ने जब तीन तलाक़ को असंवैधानिक मानकर, सरकार को जल्द ही इस विषय पर क़ानून बनाने का निर्देश दिया तो, सरकार भी इस मसले को गंभीरता से लेते हुए तीन तलाक़ को अपराध बनाने से सम्बंधित बिल लेकर आई। पिछले वर्ष सरकार ने लोकसभा में तो यह बिल पास करवा लिया था, लेकिन बहुमत के अभाव के कारण राज्यसभा में यह बिल नहीं टिक पाया था। तब सरकार ने कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष को इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराया था। अभी चल रहे संसद के मानसून सत्र में एक बार फिर सरकार ने ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2018′ लोकसभा में पारित करवा लिया है, अब फिर से राज्यसभा में पेंच फंसने की स्थिति है। जिसका फ़ायदा उठाकर भाजपा एक बार फिर अपनी पार्टी को मुस्लिम महिलाओं की पक्षकार साबित करते हुए विपक्ष पर उनके हक़/अधिकारों का विरोधी होने का आरोप मड सकती है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इस तरह भाजपा बड़ी सहजता से मुस्लिम महिलाओं को अपनी तरफ़ करने जा रही है।
क्योंकि कट्टरपंथी मुस्लिम का भाजपा से जुड़ना मुश्किल:
गौरतलब है कि हिंदुत्व की दक्षिणपंथी विचारधारा पर टिकी हुई भाजपा यह बखूबी जानती है कि धार्मिक तौर पर कट्टर मुस्लिम उसका समर्थन बमुश्किल ही करेगा, ऐसे में देश के करीब 20 फ़ीसदी मुस्लिम मतदाताओं में से यदि महिलाओं की आधी आबादी के अधिकार की बात कर उसे अपने जनमत में परिवर्तित कर ले, तो यह निश्चित ही भाजपा के लिए नफ़े का सौदा साबित होगा।
बिना महरम के मुस्लिम महिलाओं को हज़ जाने का हक़ दिया:
सालभर पहले की ही बात है, जब मोदी सरकार ने ‘राष्ट्रीय हज़ नीति’ में संशोधन करते हुए मुस्लिम महिलाओं को बिना महरम व पति के साथ के हज जाने की अनुमति दी थी। इससे पहले महरम (यानी शरीयत के मुताबिक़ करीबी रिश्तेदार) के बिना मुस्लिम महिलाएं हज की यात्रा पर नहीं जा सकती थी। इस शर्त को हटाकर केंद्र सरकार ने मुस्लिम महिलाओं की स्वायत्ता को बढ़ाया था।
उदारवादी दौर में वर्तमान सरकार के ये क़दम स्वाभाविक तौर पर मुस्लिम महिलाओं पर लगी सामाजिक एवं धार्मिक पाबंदियां हटाते हुए, उन्हें बेफिक्र, साहसी और स्वतंत्र बनाने का काम कर रहे हैं। ऐसे में आगामी चुनावों में भाजपा को इस वर्ग का मत एवं समर्थन मिलेगा, इसके पूरे आसार है।
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