जयपुर शहर में अक्सर लगने वाला वाहनों का जाम और बढ़ती भीड़ शहरवासियों के लिए समस्या बन चुकी है। वाहन चलाने से लेकर, चलने-फिरने या शहर से गुजरने में यह जाम बहुत हद तक परेशान करता है। देश-विदेश से शहर में घूमने आने वाले सैलानियों से लेकर शहर के आम व ख़ास वर्ग, हर किसी को जाम और भीड़ की इस समस्या से निजात चाहिए। आलम यह है कि बड़ी चौपड़ से रेलवे स्टेशन जाने के तकरीबन 5 किलोमीटर के रास्ते को पार करने में कई बार 1 घंटा लग जाता है। शहर की इस सार्वजनिक समस्या के कुछ प्रमुख कारण निम्न हैं।
अनियमित पार्किंग है बड़ी वजह:
शहर में हर दिन लगने वाले भारी जाम का एक बड़ा कारण अनियमित और अव्यवस्थित पार्किंग व्यवस्था है। हालांकि गलत जगह वाहन पार्क करने पर पुलिस चालान का प्रावधान है, बावजूद इसके परकोटे के बाज़ार में दोपहिया से लेकर चौपहिया वाहन अक्सर एक चौथाई सड़क तक खड़े होते हैं।
अतिक्रमण की वजह से सड़कें बनी गलियां:
एक-दूसरे को समकोण पर काटती, शहर की सुनियोजित, चौड़ी सड़कें भी अतिक्रमण की वजह से गलियों में तब्दील हो गई है। दुकानदार, सडकों पर लगने वाले ठेले, सड़क किनारे बैठे छोटे व्यापारी, फेरी वाले आदि सभी मुख्य बाज़ार के सडकों की काफी जगह घेर लेते हैं। इससे अच्छी-खासी चौड़ाई की सड़कें भी कम नज़र आती है। वाहन चलाने में परेशानी के साथ-साथ इससे आमजन को भी चलने की जगह नहीं मिल पाती।
मेट्रो का धीमा काम बना परेशानी:
जयपुर मेट्रो के धीमे काम की वजह से शहर में अक्सर जाम की स्थिति बनी रहती है। गौरतलब है कि परकोटे के चांदपोल बाज़ार से बड़ी चौपड़ तक 2.9 किलोमीटर लम्बाई की मेट्रो परियोजना का काम पिछले 5 साल से चल रहा है। सरकारी सुस्ती, प्रशासनिक लापरवाही और लालफीताशाही के कारण कई बार इस प्रोजेक्ट की तारीख आगे खिसकाई जा चुकी है, मगर अब तक काम पूरा नहीं हो पाया है।
ई-रिक्शा की बढ़ती तादाद:
राजधानी में जाम के हालातों का वास्तविक आंकलन करे तो मालूम चलता है, कि शहर में ई-रिक्शा की तादाद हद से ज़्यादा बढ़ गई है। बैटरी से चलने वाले ई-रिक्शा एक तो धीमी गति से चलते है, दूसरा जगह भी अधिक घेरते हैं। निजी बस, कार, दोपहिया व अन्य वाहनों के साथ पिछले 3 – 4 वर्षों में ई-रिक्शा की संख्यां में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है, जोकि शहर में जाम का एक बड़ा कारण बनकर उभरा है।
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