सरकार बदलने के साथ ही विकास कार्यों का भार भी नई सरकार के जिम्मे आ गया है। राजधानी जयपुर के पांच बड़े ऐसे प्रोजेक्ट हैं जिन्हें पूरा करने की ज़िम्मेदारी और श्रेय अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार लेगी, यह लगभग निश्चित ही है। पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा शुरु की गई जयपुर मेट्रों के अतिरिक्त झोटवाड़ा एलिवेटेड, सोडाला एलिवेटेड, रिंग रोड व द्रव्यवती रिवर फ्रंट ऐसे प्रोजेक्ट हैं जो भाजपा सरकार की संकल्पना रहे हैं लेकिन काम अभी तक पूरा नहीं हो पाने के कारण अब लगता है कि इन सभी प्रोजेक्ट का उदघाटन नव निर्वाचित वर्तमान सरकार ही करेगी।
पिछली गहलोत सरकार में शुरू हुई जयपुर मेट्रो परियोजना अभी तक अधूरी:
अशोक गहलोत के नेतृत्व में पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में फरवरी 2011 में जयपुर मेट्रों का काम शुरु किया गया था। बड़े पैमाने पर तब मेट्रों के दो फेज की योजना बनाई गई थी। पहला फेज चांदपोल से मानसरोवर तक 9.2 किलोमीटर का रखा गया, तो दूसरा चांदपोल से बड़ी चौपड़ तक 2.1 किलोमीटर दूरी का रखा गया। तेज गति से काम करते हुए तब कांग्रेस सरकार ने जहां पहले फेज का ट्रायल करवा दिया था, वहीं दूसरे फेज का शिलान्यास भी अक्टूबर 2013 में ही कर दिया था। इसके बाद जब भाजपा ने सत्ता संभाली तो पहले फेज का उदघाटन कर दिया गया। अब महज़ दूसरे फेज का 2.1 किलोमीटर काम ही नई सरकार के ज़िम्मे था, लेकिन सरकारी सुस्ती, लालफीताशाही और कंपनियों से तालमेल में कमी के कारण 5 साल में भी काम पूरा नहीं हो पाया। ऐसे में अब उम्मीद है कि फिर अशोक गहलोत के मुख्यमंत्रित्व में ही यह प्रोजेक्ट सम्पूर्ण होगा।
द्रव्यवती रिवर फ्रंट:
द्रव्यवती एक कृत्रिम नदी का उदाहरण है जो टाटा कंपनी और जेडीए के साझा प्रयासों से तैयार की गई है। वसुंधरा सरकार द्वारा साल 2016 में इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास कर, 2 साल के अंदर काम पूरा कर लेने की बात कही गई थी। सरकार ने कार्यकाल के अंतिम समय में बड़ी तेजी से काम खिंचवाया। बावजूद प्रोजेक्ट पूरा होने में अभी करीब डेढ़ वर्ष और लग सकते हैं। हालांकि इसके 16 किलोमीटर के काम का उदघाटन पूर्व भाजपा सरकार इसी वर्ष 2 अक्टूबर के दिन कर चुकी है।
झोटवाड़ा एलिवेटेड:
167 करोड़ रुपए की कुल लागत वाले इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुए अभी सालभर भी नहीं हुआ है। 2020 तक काम पूरा होने के आसार है। अभी तक केवल 4 करोड़ रूपए का काम ही हुआ है। प्रोजेक्ट के दौरान प्रभावित होने वाले दुकानदारों का पुनर्वास अभी मुख्य मुद्दा बना हुआ है।
सोडाला एलिवेटेड:
इस प्रोजेक्ट के पूरा होने की अंतिम सीमा जनवरी 2019 रखी गई थी। काम की प्रगति को देखने पर पता चलता है कि अभी कम से कम 1 वर्ष और लगेगा। 150 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट में अभी 54 करोड़ के काम ही हो पाए हैं, तथा पिलर्स पर काम अभी ज़ारी है।
रिंग रोड प्रोजेक्ट:
आगरा-टोंक-अजमेर हाईवे को जोड़ते हुए बनने वाली रिंग रोड ड्रीम प्रोजेक्ट था। सरकार ने प्रोजेक्ट पूरा करने का जिम्मा निजी कंपनियों पर सौंपा। काफी समय बाद भी कम्पनिया काम पूरा नहीं कर पाई तो अधिकारियों ने सरकारी खजाने से कंपनियों को पूरा पैसा लौटा दिया। इसके बाद काम सौंपा गया एनएचएआई (नेशनल हाइवे ऑथोरिटी ऑफ़ इंडिया) को। प्रोजेक्ट अभी तक पूरा नहीं हुआ है लेकिन एनएचएआई के काम करने की तेज गति के बीच जल्द ही पूरा होने की उम्मीद है।
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